
चंबल का उफान छीन ले गया खुशी के पल,जीवन की ढलती सांझ में दे गया भारी दर्द, बे आसरा मथरी बाई दो जून की रोटी को तरसी
कोटा.भगवान किसी को देता है तो छप्पर फाड़ कर और छीनता है तो भी कुछ इसी तरह। भट्टजी घाटचन्द्रघटा क्षेत्र में चंबल मे आए उफान के बाद बाढ़ पीडि़त मथरी बाई की दास्तां भी कुछ इसी तरह की है। चंबल का उफान उसका सब कुछ तबाह कर चला गया। अब वृद्धा सप्ताह भर से अपने एक रिश्तेदार के यहां रह रही है।
करीब 75 बरस की मथरी बाई के चेहरे से खुद ब खुद दर्द बोल उठाता है। करीब 25 बरस पहले पति ने साथ छोड़ दिया। कुछ वर्ष पूर्व उसके बेटे की भी मौत हो गई और अब मकान भी ढह गया। वह बोली 'म्हारा पंखा भी बहग्या, खाबा पीबा को काईं न बच्यो। म्हांरो ईं दुनिया मं कोई कोई न। म्हूं खां जाऊंगी, खां रूंगी। पति तो 25 बरसर फल्यां मरग्या। नदी न म्हांरो बेटो भी मार द्यो। अब घर भी बह ग्यो तो म्हूं खां जाऊ.... Ó।
कहते कहते मथरी बाई ने आपबीती बताई तो उसकी आंखों में आंसू तेर उठे। मथरी के साथ खड़ी एक रिश्तेदार ने बताया कि मथरी बाई यहां अकेली रहती है। इसके कोई नहीं है।
एक बेटी है, उसकी शादी हो चुकी है। यह गेहूं बीनकर जैसे तैसे भर पोषण कर रही है। मथरी बताती है कि उसका घर वापिस बन जाए तो जिंदगी ी सांझ आसानी से कट जाए। भट्टजी घांट क्षेत्र में बाढ़ प्रभावित लोगो ने मंगलवार को पत्रिका को बताया कि क्षेत्र में बाढ़ का पानी उतरे सप्ताह भी होने को आया, पर अब तक प्रशासन की ओर से राहत के छीटे भी नहीं दिए।
Updated on:
24 Sept 2019 08:47 pm
Published on:
24 Sept 2019 08:39 pm
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