रिटायर्ड क्षेत्रीय वन अधिकारी जवाहर सागर बिम्बाधर शर्मा ने बताया कि उनकी मां कमला बाई भैंसरोडगढ़़ निवासी है। वो बताती है कि आज से करीब 70-75 वर्ष पूर्व चामला, कचौलिया, मुहुपुरा क्षेत्र में घना जंगला हुआ करता था। वे बचपन में जब जानवर चराने जाया करती थी तो उन्होंने एक बार चामला क्षेत्र में शेर तक देखा था। शर्मा ने बताया कि यह क्षेत्र पहले राजस्व विभाग में था। लेकिन जब जवाहर सागर सेंच्यूरी घोषित हुई तो रावतभाटा चौराहा से लेकर जावरा तक का क्षेत्र जवाहर सागर अभ्यारण्य में शामिल कर लिया गया था और आज भी है।
रावतभाटा में जवाहर सागर रेंज वन भूमि पर चामला, कचौलिया, महुपुरा व संणीता गांव के पास वन भूमि पर रोजाना करीब 50 से ज्यादा ट्रैक्टर ट्रॉली अवैध खनन कर काली मिट्टी, मोहरम व पत्थर निकाला जा रहा है। यह पत्थर रावतभाटा, झालरबावड़ी, बाड़ौली तक अवैध खननकर्ता इसकी आपूर्ति कर रहे है।
अवैध खनन में जुटी ट्रैक्टर ट्रॉली चालकों एक ट्रॉली पत्थर की रेट पूछी तो उन्होंने बताया कि पत्थरों की भी अलग-अलग रेट है। भर्ती के काम आने वाले पत्थर की एक ट्रॉली 750 रुपए, चुनाई के काम आने वाला पत्थर प्रति ट्रॉली 1200 से 1500 रुपए, मोहरम 1200 रुपए व काली मिट्टी (गारा) 1500 रुपए प्रति ट्रॉली के हिसाब से रावतभाटा में सप्लाई किया जा रहा है।