
Kota News : समाज में एक आम इंसान का पूरा जीवन संघर्षों से भरा रहता है। वह अपने हक और स्वाभिमान के लिए लड़ता रहता है। राजनीतिक गलियारों में एक आम इंसान का वजूद केवल एक वोट के आंकड़े जितना होता है। उसी आम आदमी के संघर्ष में साथ कदम मिलाने, उसके दर्द को समझने और स्वाभिमान के लिए समाजसेविका शानू दीदी ने कोटा स्वाभिमान मंच बनाया। समाज में गरीब किसान, मजदूर, महिला, दलित और पिछड़े वर्ग के प्रत्येक व्यक्ति की आवाज बनने के उद्देश्य से यह मंच बनाया गया। इस मंच को बनाने के पीछे शानू दीदी का इरादा केवल और केवल इतना था कि अपनी मातृभूमि कोटा में वंचित वर्ग के हर व्यक्ति को उसका हक दिलवा सके, हर पीड़ित को न्याय दिला सके।
मंच बनाने के बाद पहला काम था, लोगों की समस्या जानना। इसके लिए हाड़ौती क्षेत्र के हर गांव कस्बे, ढाणी-ढाणी तक के लोगों से संपर्क करने के लिए, हाड़ौती स्वाभिमान यात्रा की गई। लगभग 450 किलोमीटर की यात्रा से कोटा स्वाभिमान मंच ने 140 ग्राम पंचायत और 40 नगर निगम वॉर्ड के लोगों से मुलाकात कर, उनके क्षेत्र की समस्या जानी। इस यात्रा के दौरान कई ऐसी समस्याएं भी जानने को मिली, जो झकझोर देने वाली थी।
40 वर्षों से कब्रिस्तान की जमीन के लिए जूझ रहा है, बसेड़ा समाज
केशोरायपाटन की वार्ड नंबर 3 में सभा के दौरान, बसेड़ा समाज के लोग आए। उन्होंने मंच के साथ अपना दर्द साझा किया। लोगों ने बताया कि वे 40 वर्षों से यहां निवास कर रहे हैं, मगर फिर भी उनके पास कब्रिस्तान की जमीन नहीं है। आज भी किसी के देहांत के बाद उन्हें शव लेकर 700 किलोमीटर दूर गुजरात जाना पड़ता है।
कोटा की पहचान कोटा डोरिया साड़ी, मगर बुनकर समाज को नहीं मिल रही पहचान और उनका हक
कैथून में शानू दीदी ने बुनकर समाज के लोगों से मुलाकात की। कोटा डोरिया साड़ी से कोटा की पहचान है। देश - विदेश में कई सेलेब्रिटी और बड़ी हस्तियां भी कोटा डोरिया साड़ी पहनती है। यूनेस्को के कार्यक्रम में भी कोटा डोरिया साड़ी का परिधान अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कोटा को पहचान दिला चुका है। मगर इस काम से जुड़े कारीगर अपने हक के लिए जूझ रहे हैं। उन्हें अपनी मेहनत का वाजिब दाम नहीं मिल रहा है। उनके पास काम करने के लिए जगह नहीं है, छोटे घरों में काम करने को मजबूर है। जिससे पूरा परिवार और बच्चें परेशानी में रहते हैं। जो लोग इस काम में नहीं है वे सरकारी मिलीभगत से अवॉर्ड ले लेते हैं, असली हकदार लोगों को अवॉर्ड और सम्मान भी नहीं मिल पाता है।
यह भी पढ़ें : फाइलों में दब कर रह गई पुष्कर सोलर सिटी योजना
नाले के केमिकल पानी से पर्यावरण को हो रहा नुकसान, नाले में मगरमच्छ भी हो गए सफेद
रायपुरा क्षेत्र में लोगों ने बताया कि रिहायशी इलाके के पास से केमिकल पानी का नाला बह रहा है। जिससे पूरे क्षेत्र के लोग परेशान है। इस नाले में मगरमच्छ भी रहते हैं, वो भी पानी से सफेद हो गए हैं। इससे नाले के पास रहने वाले लोगों को तो मगरमच्छ का खतरा रहता ही है, साथ ही पर्यावरण और पारिस्थितिकी तंत्र को भी नुकसान पहुंच रहा है।
''कोटा से जुड़ी हुई तमाम समस्याएं मुझे बहुत विचलित करती है। मैं कोटा की बेटी हूं, मैंने चम्बल का पानी पिया है। बहुत लोग हैं जो कोटा की समस्याओं की को हल करना चाहते है, आवाज उठाना चाहते हैं। बस उनकी आवाज संगठित नहीं है। हम उनकी आवाज को संगठित करना चाहते हैं।''
शानू चौबे, संयोजिका, कोटा स्वाभिमान मंच
Published on:
28 Jan 2024 12:36 pm
बड़ी खबरें
View Allकोटा
राजस्थान न्यूज़
ट्रेंडिंग
