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आलाकमान बार-बार दे रहा मंत्र, फिर भी जम रहा पार्टी का तंत्र

locationकोटाPublished: Oct 17, 2018 05:46:11 pm

Submitted by:

Deepak Sharma

– सरकार में उपेक्षित कार्यकर्ताओं की निष्क्रियता से संगठन की चिंताएं बढ़ीं
– रणकपुर फीडबैक बैठक से पहले पत्रिका ने कार्यकर्ताओं का टटोला मन

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कोटा. पिछले दो माह से भाजपा आलाकमान ने कार्यकर्ताओं में जोश और उत्साह भरने के लिए पूरी ताकत लगा दी है, लेकिन कार्यकर्ता अब भी घर से नहीं निकले हैं। संगठन की रीढ़ की हड्डी माने जाने वाले कार्यकर्ताओं की निष्क्रियता से पार्टी के वरिष्ठ नेताओं की नींद उड़ गई है। संगठन का पूरा फोकस चुनाव से पहले कार्यकर्ताओं को क्षेत्र में सक्रिय करना है। साथ ही रूठे पदाधिकारियों को मनाने पर है।
पिछले सप्ताह केन्द्रीय कृषि राज्यमंत्री गजेन्द्रसिंह शेखावत व प्रदेश संगठन महामंत्री चन्द्रशेखर ने कार्यकर्ताओं की बैठक लेकर जमीनी फीडबैक जाना और राष्ट्रीय अध्यक्ष के 23 सूत्री कार्यक्रम की जमीनी हकीकत जानी तो उनके पैरों से जमीन खिसक गई। पता चला कि आधे काम भी शुरू नहीं हुए। उन्होंने जिलाध्यक्षों के समक्ष नाराजगी भी जताई थी।
यहीं नहीं प्रदेशाध्यक्ष मदनलाल सैनी पिछले दो माह में तीन बार कोटा दौरे पर आ चुके हैं। राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह भी पिछले दिनों कोटा में पार्टी शक्ति केन्द्र और बूथ के कार्यकर्ताओं से रूबरू होकर चुनाव के लिए कमर कसने और पार्टी के 23 सूत्री बिन्दुओं पर काम करने पर जोर दिया था। मुख्यमंत्री ने भी गौरव यात्रा निकालकर कार्यकर्ताओं में उत्साह भरने का प्रयास किया।
रणकपुर बैठक से एक दिन पहले पत्रिका ने मंडल अध्यक्षों, पूर्व मण्डल अध्यक्षों, पार्षदों और अन्य पदाधिकारियों व कार्यकर्ताओं की निष्क्रियता को लेकर बात की तो उनके मन का दर्द झलक पड़ा। पौने पांच साल तक सरकार, संगठन और जनप्रतिनिधियों ने कोई तवज्जो नहीं दी। जनता के काम लेकर गए तो काम नहीं हुए।
यह है कार्यकर्ताओं का दर्द

– पौने पांच साल तक सरकार, संगठन और जनप्रतिनिधियों ने कोई तवज्जो नहीं दी।

– कार्यकर्ता पानी, नाली-पटान, सड़क, पानी, बिजली जैसी समस्याएं लेकर अधिकारियों के पास गए तो कोई सुनवाई नहीं हुई।
– पूरे शासन काल में प्रशासनिक तंत्र हावी रहा, किसी काम के लिए विधायक से अधिकारी को फोन करवा दिया तो वह काम आज तक नहीं हुआ।

-रामगंजमंडी विधायक चन्द्रकांता मेघवाल के महावीर नगर थाने में हंगामे और उनसे मारपीट के मामले में अधिकारियों पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। जबकि तत्कालीन प्रदेशाध्यक्ष ने कार्यकर्ताओं की बैठक लेकर कार्रवाई का आश्वासन दिया था।
– कोटा से किसी भी विधायक को मंत्री नहीं बनाया गया, कोटा के कार्यकर्ता मंत्रियों के पास काम के लिए गए तो निराशा ही हाथ लगी।

– विधानसभा सत्र के वक्त कार्यकर्ता जयपुर गए तो काम होना तो दूर मंत्रियों के चैम्बर में बैठने तक की जगह नहीं मिली।
– प्रदेश संगठन में कोटा के कार्यकर्ताओं को कोई महत्व नहीं दिया गया है। जिला संगठन में भी जो कार्यकर्ता जमीन से जुड़े हुए थे, उन्हें मौका नहीं दिया गया। विधायकों के नजदीकी कार्यकर्ताओं को ही जगह दी गई।
– कोटा के कार्यकर्ताओं की राजनीतिक नियुक्तियों में उपेक्षा की गई।

– कोटा के संगठन व प्रशसनिक तंत्र पर भी झालावाड़ के नेताओं का दखल रहा।

– 20 से 25 साल तक संगठन का काम करने वाले कार्यकर्ताओं की जगह पैराशूट उतारे गए। यूआईटी अध्यक्ष की नियुक्ति भी खली।
– सरकार में सहवरित पार्षदों व न्यासी तक नहीं बनाए गए।

– पार्टी के वरिष्ठ नेताओं को तो संगठन की बैठकों तक की सूचना नहीं दी जाती है।

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