
मेडिकल कॉलेज कोटा
kota news : कोरोना महामारी के बाद से मेडिकल कॉलेज में कैंटीन सेवा बहाल नहीं हो पाई है। एमबीबीएस स्टूडेंट्स, इंटर्न, रेजिडेंट डॉक्टर, शिक्षकों और अन्य स्टाफ समेत करीब 2 हजार लोग इससे प्रभावित हो रहे हैं। कॉलेज के अंदर न कैंटीन की सुविधा है, न बाहर खाना खाने के लिए बैठने की कोई व्यवस्था। इससे स्टूडेंट्स को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।
कॉलेज प्रशासन ने कई बार कैंटीन सेवा शुरू करने के प्रयास किए। इसके लिए निविदा भी जारी की गई, लेकिन कोई इच्छुक संवेदक सामने नहीं आया। इसका परिणाम यह है कि छात्रों को खुद ही मैस संचालित कर भोजन की व्यवस्था करनी पड़ती है। पूरे माह का जो खर्च आता है। उस राशि को आपस में बांट लेते हैं। इसके अलावा कॉलेज में लंच करने के लिए बाहर बैठने की समुचित व्यवस्था नहीं होने से उन्हें सड़क किनारे या मंदिर परिसर में बैठकर खाना पड़ता है।
छात्रों का दर्द
छात्रों का कहना है कि कोरोना काल से कैंटीन सेवा बंद है। एक एमबीबीएस छात्र ने कहा, हमारे पास पढ़ाई और प्रेक्टिकल के लिए बहुत सीमित समय होता है। मैस में खाने की व्यवस्था करने में समय बर्बाद हो जाता है। ऐसे में हम पढ़ाई करें या मैस का संचालन करें।
रेजिडेंट डॉक्टरों का कहना है कि ड्यूटी के दौरान उन्हें खाना खाने के लिए पर्याप्त समय नहीं मिल पाता और बाहर जाने में यह समस्या और बढ़ जाती है। कॉलेज के छात्र और कर्मचारियों ने कहा कि कॉलेज प्रशासन को कई बार लिखित में अवगत करा चुके हैं, लेकिन समस्या का समाधान नहीं हुआ है। जबकि पहले भी कैंटीन चालू थी, लेकिन अब इसे चलाने के लिए दोबारा अधिकारी रुचि नहीं दिखा रहे। हालांकि अभी इसका रिनोवेशन भी करवाया है।
इनको है परेशानी
यूजी स्टूडेंट्स 750
पीजी स्टूडेंट्स 600
इंटर्न स्टूडेंट्स 250
शिक्षक 250
कॉलेज में कैंटीन के लिए निविदा जारी की गई थी, लेकिन कोई नहीं आया। पीडब्ल्यूडी से डीएलसी दर पर किराया निर्धारित होता है, वह अधिक है। ऐसे में एक कमेटी भी बनाई है। उसकी रिपोर्ट के आधार पर सरकार से मार्गदर्शन मांगा गया है। हम इसे चालू करने की पूरी कोशिश कर रहे हैं।
डॉ. संगीता सक्सेना, प्राचार्य, मेडिकल कॉलेज कोटा
Updated on:
24 Jan 2025 01:47 pm
Published on:
24 Jan 2025 01:46 pm
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