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आपनो से घिरे तो लिया फैसला फिर कांग्रेसियो ने दी धमकी तो बदलना पड़ा महापौर को फैसला

कोटा। प्रत्येक कोचिंग छात्र के हिसाब से एक हजार रुपए सालाना सफाई शुल्क लागू करने के फैसले को नगर निगम ने गुरुवार को वापस ले लिया है।

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कोटा

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abhishek jain

Nov 23, 2017

महापौर महेश विजय

कोटा .

प्रत्येक कोचिंग छात्र के हिसाब से एक हजार रुपए सालाना सफाई शुल्क लागू करने के फैसले को नगर निगम ने शहरवासियों के तगड़े विरोध के बाद गुरुवार को वापस ले लिया है। महापौर महेश विजय ने स्पष्ट कह दिया कि न कोचिंग छात्रों से पहले कोई सफाई शुल्क लेते थे और न अब लेंगे।

निगम की राजस्व समिति की चार दिन पहले हुई बैठक में निर्णय किया था कि 250 से अधिक संख्या वाले निजी शिक्षण संस्थाओं और कोचिंग संस्थानों पर प्रत्येक छात्र के हिसाब से निगम सालाना एक हजार रुपए सफाई शुल्क रूप में वसूल करेगा। उप महापौर व राजस्व समिति के अध्यक्ष की आपत्ति के बाद भी आयुक्त ने यह प्रस्ताव पारित करवा दिया था, इस पर दोनों पदाधिकारियों ने आपत्ति जताई थी। बाद में निजी स्कूल संचालकों के विरोध पर पर निगम ने स्पष्ट कर दिया था कि केवल कोचिंग संस्थानों से ही यह शुल्क लिया जाएगा।

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निगम के इस फैसले का कोचिंग संस्थानों के संचालकों, जनप्रतिनिधियों और व्यापारियों ने विरोध करते हुए आंदोलन की धमकी थी। शुल्क लागू करने का मामला गरमाने के बाद निगम बैकफुट पर आ गया है। महापौर महेश विजय ने कहा कि कोचिंग संस्थानों पर लागू किए गए सफाई शुल्क के बारे में सांसद ओम बिरला और विधायकों से गुरुवार को चर्चा हुई है। इस तरह का कोई टैक्स नहीं लिया जाएगा। महापौर ने कहा कि कोचिंग विद्यार्थियों से किसी प्रकार को कोई सफाई शुल्क नहीं लेंगे।

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कांग्रेस ने महापौर को घेरा

सफाई शुल्क लागू करने के विरोध में कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने गुरुवार सुबह महापौर को उनके कक्ष में घेर लिया। पीसीसी सदस्य क्रांति तिवारी के नेतृत्व में कार्यकर्ता महापौर के कक्ष में जबर्दस्ती घुस गए और महापौर की टेबल बजाते हुए कहा कि यह शुल्क किसी भी सूरत में लागू नहीं देंगे। उन्होंने कहा कि इसके विरोध में उनके कक्ष में ही आमरण अनशन शुरू कर देंगे। कांग्रेस कार्यकर्ताओं की मौजूदगी में महापौर ने निगम के अधिकारियों से भी चर्चा की। इसके बाद यह टैक्स समाप्त करने की घोषणा की।

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अपनों से घिर गए थे महापौर
कोचिंग छात्रों पर जबर्दस्ती सफाई शुल्क लागू करने के निर्णय पर महापौर भाजपा पार्षदों से ही घिर गए थे। भाजपा पार्षदों ने ही महापौर व राजस्व समिति के निर्णय के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था। इसे पार्टी को बदनाम करने के लिए अधिकारियों के इशारे पर लागू करने वाला टैक्स बताया था।