
कोटा . अब कोई भी परिसर या मकान किराए पर देने से पहले मकान मालिक और किराएदारों को लिखित करार करना होगा। इसके बिना न परिसर किराए पर दिया जा सकेगा, न ही लिया जा सकेगा। इसके लिए निर्धारित प्रारूप में किराया प्राधिकारी को सूचना देना आवश्यक होगा। राजस्थान किराया नियंत्रण अधिनियम-2001 में अक्टूबर 2017 में संशोधन करके धारा 22 संयोजित की गई है।
उपखण्ड अधिकारी को किराया प्राधिकारी नियुक्त किए जाने का प्रावधान रखा गया है। यदि परिसर पहले से ही किराए पर है तो भी ऐसी सूचना निर्धारित प्रारूप में दी जाएगी। यदि करार लिखित में नहीं है तो लिखित में किया जाकर सूचना देनी होगी। जिन्हें किराया प्राधिकारी अपने यहां एक रजिस्टर में अंकित करेगा और साथ ही ऐसी सूचना वेबसाइट पर अपलोड की जाएगी। कोई भी भूस्वामी अब अपने किरायेदार से एक माह तक के किराये के बराबर रकम बतौर प्रतिभूति प्राप्त कर सकेगा।
navratri Special : चंबल घाटी में 25 हजार साल पहले शुरू हुई शक्ति की आराधना
ये मामले होंगे पेश
कोई भी किराएदार भूस्वामी द्वारा दी जा रही सुख-सुविधा से वंचित किए जाने और मकान में मरम्मत आदि कार्य करवाने के लिए किराया अधिकरण के बजाय अब किराया प्राधिकारी के समक्ष जाएंगे। यह प्रावधान अक्टूबर 2017 से प्रभाव में आए हैं। यदि कोई भूस्वामी किराएदार से किराया प्राप्त नहीं कर रहा तो ऐसा किराएदार उपखण्ड अधिकारी (जो कि अब किराया प्राधिकारी के नाम से जाने जाएंगे) के यहां आवेदन प्रस्तुत करके किराया जमा करवा सकते हैं। पूर्व में विचाराधीन मामलों का विचारण किराया अधिकरण द्वारा ही किया जाएगा।
Read More: अब दीवारें बता देंगी कि कोटा के मुकुंदरा हिल्स में है इन वन्यजीवों का बसेरा
किराया अधिकरण का कार्यभर होगा कम
एडवोकेट विवेक नंदवाना ने बताया कि सरकार कोई भी कानून सकारात्मक सोच के साथ लाती है। इस संशोधन से सभी किराएदारों का एक ही जगह रिकॉर्ड उपलब्ध रहेगा। साथ ही, किराया अधिकरण अदालतों का कार्य भार कम होने से परिसर खाली करवाने वाले मामलों का निस्तारण शीघ्र हो सकेगा। ऐसी सूचना लेखबद्ध किए जाने से पुलिस को भी भविष्य में सुविधा रहेगी।
Published on:
25 Mar 2018 02:29 pm
बड़ी खबरें
View Allकोटा
राजस्थान न्यूज़
ट्रेंडिंग
