
कोटा. शहर के नांता और किशोरपुरा स्थित अखाड़ों में जेठी समाज ने परंपरागत ढंग से शनिवार सुबह मिट्टी के रावण का वध किया।
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शहर में शाम को हर्षोल्लास के साथ दशहरा मैदान में इसी तरह की परम्पराओं को निभाते हुए रावण का दहन किया, लेकिन इससे पहले जेठी सुबह जेठी समाज के लोग मिट्टी का रावण बनाकर उसका वध करते हैं।
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यह परम्परा रियासतकालीन चली आ रही है। रावण को मारने की इस विशेष परम्परा को आज भी निभाया जा रहा है।
शहर के नांता और किशोरपुरा स्थित अखाड़ों में जेठी समाज ने परंपरागत ढंग से शनिवार सुबह मिट्टी के रावण का वध किया।
समाज के अरविन्द जेठी ने बताया समाज के लोग किशोरपुरा व नांता स्थित समाज के अखाड़ों पर एकत्र हुए। रावण से युद्ध कर उसका वध किया गया। जैसे ही राम भक्तों ने रावण को मारा, अखाड़े जयकारों से गूंज उठे।लोगों ने एक दूसरे को दशहरे की शुभकामनाएं दी व मुंह मीठा कराया।
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अनूठी है परंपरा: समाज के लोगों ने बताया कि नवरात्र के प्रारंभ में अखाड़े की मिट्टी को इकट्ठा कर रावण बनाया जाता है। इसके मुख पर ज्वारे उगाए जाते हैं।
पूरे नवरात्र हर शाम यहां समाज के लोग डांडिया करते हैं और देवी की आराधना करते हैं। दशहरे के दिन सुबह अखाड़े के पहलवान मिट्टी के रावण को रौंदते हैं। यह परम्परा रियासतकाल से चली आ रही है।
Published on:
30 Sept 2017 10:05 pm
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