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जननी एवं शिशु सुरक्षा योजना के दावे खोखले साबित हुए… जानिए पूरा मामला

प्रसूता अस्पताल के बाहर ही दर्द से छटपटाती रही

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सांगोद. जननी एवं शिशु सुरक्षा को लेकर सरकार के तमाम दावे रविवार को हवा होते नजर आए। अस्पताल में प्रसव के लिए आई प्रसूता को कोटा रैफर किए जाने के बाद एम्बुलेंस के अभाव में आधे घंटे तक तड़पना पड़ा। प्रसूता अस्पताल के बाहर ही दर्द से छटपटाती रही।

परिजनों के पास इतने पैसे भी नहीं थे की वो उसे अपने स्तर पर वाहन की व्यवस्था कर कोटा ले जा सकें। आधे घंटे बाद कनवास से सांगोद पहुंची 108 एम्बूलेंस से प्रसूता को परिजन कोटा ले गए। सांगोद निवासी परिजन प्रसूता राजेश बाई को लेकर रविवार सुबह करीब दस बजे काशीपुरी सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र पहुंचे।

यहां महिला चिकित्सक ने जांच के बाद प्रसूता को कोटा रैफर कर दिया। लेकिन परिजनों को कोटा ले जाने के लिए तत्काल वाहन नहीं मिला। यहां अस्पताल की एम्बुलेंस भी चालक के अभाव में प्रसूता की मददगार नहीं बन सकी। ऐसे में वाहन की व्यवस्था नहीं होने से परिजन प्रसूता को लेकर अस्पताल के बाहर ही बैठ गए।

यहां आधे घंटे तक प्रसूता दर्द से छटपटाती रही। कभी अस्पताल के सामने बनी सीढिय़ों पर बैठकर तो कभी इधर उधर टहलते हुए प्रसूता ने अपने दर्द पर काबू पाने का जतन किया। यहां दर्द से कराहती देख प्रसूता को यहां आने वाला हर कोई अस्पताल की व्यवस्थाओं से खफा दिखा।

दो चालक, दोनों अनुपस्थित

यहां एक सरकारी एवं एक एमआरएस से एम्बुलेंस चालक कार्यरत है। रविवार को दोनों ही चालक अनुपस्थित रहे। ऐसे में प्रसूता को रैफर करने के बाद अस्पताल से भी परिजनों को कोई मदद नहीं मिली। परिजन प्रसूता को लेकर बाहर ही बैठ गए और वाहन की व्यवस्था का इंतजार करते रहे। स्थानीय 108 एम्बुलेंस कर्मचारियों ने कनवास से एम्बुलेंस मंगवाकर प्रसूता को कोटा भिजवाया।

मामले में अस्पताल प्रभारी डॉ. ओपी सामर ने बताया कि एम्बुलेंस चालकों को लापरवाही पर पूर्व में भी कई बार नोटिस दिए गए हैं। रविवार को फिर इनकी लापरवाही का मामला सामने आया है। जिसकी जांच करवाकर उचित कार्रवाई की जाएगी।