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इसके बाद वन्यजीव विभाग, टाइगर रिजर्व समेत कई वन अधिकारी ट्रंकुलाइजेशन संसाधन व टीम के साथ मौके पर पहुंचे। लेकिन, तब तक वह जंगल में चला गया। जानकारी के अनुसार बुधवार सुबह ग्रामीण राजेन्द्र गोचर खाळ में शौच करने गया तो उसे खेत में बाघ नजर आया। वह भाग कर गांव लौटा और ग्रामीणों को जानकारी दी। ग्रामीण खेत की ओर चल पड़े। शोर होने पर बाघ खेत में सरसों के पौधों के बीच छिप गया। उसके बाद सुल्तानपुर वनपाल रघुवीर मीणा व सहायक वनपाल देवेन्द्र पाल सिंह मय जाब्ते के पहुंचे।
आला अधिकारियों को सूचित किया। इस पर कोटा उप वन संरक्षक जोधराज सिंह हाड़ा, मुकुन्दरा टाइगर रिजर्व के उप वन संरक्षक टी. मोहनराज व कोटा चिडिय़ाघर उप वन संरक्षक सुनील चिद्री, टं्रकुलाइजेशन विशेषज्ञ अखिलेश पांडेय व येतेन्द्र सिंह के साथ पिंजरा व अन्य संसाधन लेकर पहुंचे। खेत में तलाशी अभियान शुरू किया।
पांच घंटे चला अभियान तीनों उप वन संरक्षकों व 50 से अधिक वनकर्मियों की उपस्थित में सुबह करीब साढ़े 11 बजे से अभियान शुरू हुआ जो सायं साढ़े तीन बजे तक चला, लेकिन बाघ का कोई मूवमेन्ट नजर नहीं आया। दो बार रिकॉर्डेड दहाड़ सुनाई, फिर भी हलचल नजर नहीं आने पर टीमों को खेत के आस-पास के हिस्सों में ट्रेकिंग के लिए भेजा। कुछ ही दूरी पर खेत से निकलने और खाळ की ओर जाने के पगमार्क मिले। फिर बाघ के पूर्व में किए शिकार की ओर जाने के पगमार्क मिले।