
Two people blind due to dengue in kota
कोटा जिले में दो मामले तलवंडी स्थित निजी चिकित्सालय में सामने आ चुके हैं। डेंगू के इस नए लक्षण से कोटा के नेत्र विशेषज्ञ भी हैरान हैं। दोनों मरीजों की जांच में आया कि डेंगू से उनकी आंख की नसों में अंदरूनी ब्लीडिंग हुई, इसके बाद रिट्रोबल्बर हेमरेज यानि आंख की नसों से खून का रिसाव होकर वहां भर गया। उन्हें दिखाई देना बंद हो गया। शहर के सीनियर फिजिशियन डॉ. केके पारीक ने बताया कि आंखों की रोशनी जाने का मामला डेंगू की केस हिस्ट्री में बिलकुल अलग है।
प्लेटलेट्स कम तो उपचार संभव नहीं
डॉ. पाण्डेय ने बताया कि आंख में दर्द या रोशनी कम होने पर तुरंत नेत्र चिकित्सक को दिखाएं। ब्लीडिंग से आंखों खून जमा हो सकता है। आंख में सूजन, रिट्रोबल्बर हेमरेज हो सकता है, इससे आंख की दृष्टि तंत्रिका पर दबाव पड़ता है। इसे लेटरल केंथोटोमी सर्जरी से कम किया जा सकता है, लेकिन प्लेटलेट्स कम होने पर यह संभव नहीं।
डेंगू ने छीनी आंखें
आरकेपुरम निवासी २९ साल के कुलभूषण को 23 सितम्बर को निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया था। उसे डेंगू पॉजीटिव आया, तबियत बिगड़ती रही। 25 सितंबर को दोपहर में वह एक घंटे सोया, जागा तो उसकी बाई आंख से दिखना बंद हो गया। आंख में सूजन आई, लाल होकर बाहर आने लगी। रोगी तलवंडी स्थित निजी संस्थान पहुंचा, जहां पर नेत्र सर्जन डॉ. सुरेश पाण्डेय व डॉ. विदुषी पाण्डेय ने जांच की। सामने आया कि कुलभुषण के डेंगू से ब्लीडिंग हुई, इसके बाद उसकी आंख में खून आ गया। इससे दिखाई देना बंद हो गया।
पहले रोशनी छिनी फिर हुआ ब्रेन हेमरेज
अरनेठा निवासी 45 वर्षीय हेमराज गुर्जर दादाबाड़ी स्थित निजी अस्पताल में डेंगू पीडि़त होने से भर्ती हुआ। परिजनों ने बताया कि उसे 5 दिन से तेज बुखार था, प्लेटलेट्स 10 हजार रह गई। 30 सितंबर को दाहिनी आंख की रोशनी कम हो गई। आंख में तेज दर्द व सिर दर्द की शिकायत हुई, कुछ देर में उसकी रोशनी समाप्त हो गई। इसे मेडिकल भाषा में 'नो लाइट परसेप्शन' कहते हैं। पलकों व श्लैष्मा झिल्ली में सूजन व ब्लीडिंग से रक्त जमा हो गया। उसे रिट्रोबल्बर हेमरेज यानी आंख में खून भरा होना मिला। बाद में ब्रेन हेमरेज भी हो गया। अभी उपचार चल रहा है।
Published on:
03 Oct 2017 11:14 am
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