अगर पंखे पर एंटी हैंगिंग डिवाइस (anti hanging device) लगा होता तो एक चांस होता कि हमारा बच्चा बच जाता। ये कहना है छात्र 17 वर्षीय शुभम चौधरी के परिजनों का। हाल में, जेईई की तैयारी करने वाले छत्तीसगढ़ निवासी कोचिंग छात्र 17 वर्षीय शुभम चौधरी ने पंखे से लटककर आत्महत्या कर ली।
कोटा में तमाम प्रयासों के बावजूद आत्महत्या जैसे मामले में सुधार करने में प्रशासन असमर्थ दिख रही है। हाल के बीस दिनों में 4 सुसाइड के मामले सामने आ चुके हैं। छात्रों की मानसिक परेशानी दूर करने और उन्हें मोटिवेट करने के लिए प्रशासन द्वारा 'कामयाब कोटा' और 'डिनर विद कलेक्टर' जैसी पहल की गई है। बावजूद इसके कोटा में छात्र आत्महत्या के मामले रुकने का नाम नहीं ले रहे।
हाल में, जेईई की तैयारी करने वाले छत्तीसगढ़ निवासी कोचिंग छात्र 17 वर्षीय शुभम चौधरी ने पंखे से लटककर आत्महत्या कर ली। मृतक छात्र शुभम चौधरी परिजन ने हॉस्टल संचालकों सहित स्थानीय प्रशासन पर स्टूडेंट की सुरक्षा के संबंध में लापरवाही बरतने का आरोप लगाया। कहा बच्चे की मां जब भी कोटा आती थी, सब कहते थे कि सब ठीक है। जिला प्रशासन को इस पर गंभीरता से सोचना चाहिए, जिन हॉस्टल में हैंगिंग डिवाइस नहीं है, उन्हें बंद या सीज़ करें। उन्होंने कहा, 'अगर पंखे पर एंटी हैंगिंग डिवाइस (anti hanging device) लगा होता तो एक चांस होता कि हमारा बच्चा बच जाता।'
यह एक ऐसा उपकरण है, जिसमें स्प्रिंग मौजूद होते हैं। जिसे पंखे के उस हिस्से पर जोड़ा जाता है जो छत से जुड़ा होता है। माना जाता है कि इस उपकरण में मौजूद स्प्रिंग 20 किलोग्राम से अधिक किसी भी भार का पता लगाकर और पंखे को छत से अलग करके तुरंत वहां अलार्म बजाती है जिससे पास मौजूद लोगों को जानकारी हो जाता है कि किसी के द्वारा आत्महत्या का प्रयास किया जा रहा है। यह आत्महत्या विरोधी उपकरण के रूप में काम करता है। इसका आइडिया साल 2017 में पहली बार आया। जिसके बाद साल 2023 में कोचिंग संस्थानों के छात्रों द्वारा अपने हॉस्टल के पीजी कमरों में छत के पंखे से लटककर की जाने वाली आत्महत्या को रोकने के लिए, कोटा जिला प्रशासन ने इन आवासों के मालिकों को यह सुनिश्चित करने का आदेश दिया कि सभी पंखे स्प्रिंग डिवाइस से सुसज्जित हों जो आत्महत्या विरोधी उपकरण के रूप में कार्य करते हैं।
उल्लेखनीय है कि कोटा में आए दिन आत्महत्या के मामले को लेकर प्रशासन बेहद गंभीर है। लेकिन इस प्रकार की गंभीरता हॉस्टल मालिकों द्वारा नहीं दिखाई जा रही है। साथ ही कोचिंग संस्थान भी उस चेहरे को पहचानने में नाकामयाब रहते हैं जो छात्र-छात्रा लगातार तनाव व दबाव में रहते हैं। हाल की एक घटना में अपने बेटे को खोये एक परिजन ने कहा कि घटना से एक -दो पूर्व मेरे बेटे ने खाने नहीं खाया। लेकिन छात्रावास के वार्डन ने इसे गंभीरता से नहीं लिया और सूचित करना उचित नहीं समझा। नतीजन हमने अपने बेटे को खो दिया।