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सावधान ! जुकाम बना रहता है तो पढ़ ले ये खबर , कहीं घेर न ले यह बीमारी

लंबे जुकाम को कभी नजर अंदाज नहीं करें !

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कोटा

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Suraksha Rajora

May 06, 2019

कोटा. लंबा जुकाम व माता पिता की एलर्जी भी अस्थमा का कारण बन सकती है। य्अस्थमा, श्वास एवं एलर्जी विशेषज्ञ डॉ विनोद जांगिड़ ने बताया कि पर्यावरण प्रदूशण के चलते अस्थमा रोगियों की संख्या में इजाफा हो रहा है। न्यू मेडिकल कॉलेज में सहायक प्रोफेसर विनोद जांगिड़ के अनुसार वर्तमान में देश में 2 करोड़ अस्थमा रोगी हैं। समय पर उपचार मिले तो रोगी को आराम मिल सकता है।

समय पर नहीं चेतना मुश्किल दे सकता है। Asthma के रोगियों की नलियां अतिसंवेदनशील हो जाती है इनमें सूजन आने लगती है, श्वास मार्ग अवरुद्ध हो जाता है।श्वास भराना, बदलते मौसम में खांसी होनाछाती में जकडऩ, श्वास के साथ सीटी की आवाज होना इस रोग के होने के लक्षण हैं। माता पिता अस्थमा रोगी हो तो बच्चों में रोग होने की आंशका बढ़ जाती है। लंबे जुकाम को कभी नजर अंदाज नहीं करना चाहिए।

विश्‍व अस्‍थमा दिवस मई महीने के पहले मंगलवार को पूरे विश्‍व में घो‍षित किया गया है। अस्‍थमा के मरीजों को आजीवन कुछ सावधानियां अपनानी पड़ती हैं। अस्थमा के मरीज़ों को हर मौसम में अतिरिक्त सुरक्षा की आवश्यकता होती है।


अपने स्वास्‍थ्‍य को समझकर, अस्थमा या दमा के मरीज़ भी मौसम का मज़ा ले सकते हैं। वातावरण में मौजूद नमी अस्थमा के मरीज़ों को कई प्रकार से प्रभवित करती है।

dr. केवल डंग के अनुसार, बरसात आने के साथ ही अस्थमैटिक्स की मुसीबत भी बढ़ जाती है, ऐसे में उन्हें नमी वाली जगहों पर नहीं जाना चाहिए।


अस्थमा के मरीज़ों के लिए आहार की कोई बाध्यता नहीं होती, लेकिन अगर उन्हें किसी खास प्रकार के आहार से एलर्जी हो तो उससे परहेज़ करना चाहिए।


अस्थमा अटैक से बचने के टिप्स :

ज्या‍दा गर्म और नम वातावरण में मोल्ड स्पोर्स के फैलने की सम्भावना अधिक होती है इसलिए ऐसे वातावरण से बचें। आंधी और तूफान के समय घर से बाहर ना निकलें ।
अस्थमा को नियंत्रित रखें और अपनी दवाएं हमेशा साथ रखें ।


अगर आपका बच्चा अस्थमैटिक है, तो उसके दोस्तों व अध्यापक को बता दें कि अटैक की स्थिति में क्या करना है ।


हो सके तो अपने पास स्कार्फ रखें जिससे आप हवा के साथ आने वाले पालेन से बच सकें ।


घर के अंदर किसी प्रकार का धुंआ ना फैलने दें।


अलग–अलग लोगों में दमा के दौरे के कारण भिन्न हो सकते हैं इसलिए सबसे आवश्यक बात यह है कि आप अपनी स्थितियों को समझें।

अस्थमा के मरीज़ों के लिए बरसात से कहीं ज्यादा खतरनाक होती है, धूल भरी आंधी।


अपनी स्वास्‍थ्‍य स्थितियों को समझने के बाद आपके लिए अस्थमा से बचना आसान हो जायेगा। कुछ सावधानियां बरतकर आप अस्थमा की जटिलता से भी बच सकते हैं और वातावरण के अनुसार स्वयं को ढाल सकते हैं।