17 साल पुराने एक जघन्य अपराध में अब जाकर इंसाफ मिला है। उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी में कोर्ट ने 80 साल की बुजुर्ग महिला को उम्रकैद की सजा सुनाई है।
सीतापुर के सुदामापुरी के अकील अहमद PAC (प्रांतीय आर्म्ड कॉन्स्टेबुलरी) में मुख्य आरक्षी के पद पर कार्यरत थे। उनकी शादी लखीमपुर के सुंदरवल गांव की शाहीन उर्फ रिंकी से हुई थी। शादी के बाद से ही अकील पर पत्नी और ससुराल वालों की ओर से अलग रहने और दहेज का सामान मंगवाने का दबाव बनाया जा रहा था।
21 दिसंबर 2007 की रात शाहीन कमरे में आग ताप रही थी, तभी उसकी डेढ़ साल की बेटी उसके कंधे पर चढ़ गई, जिससे वह आग में गिरकर झुलस गई। उसे इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती कराया गया। अकील ने इलाज का पूरा खर्च उठाया। कुछ हफ्तों बाद, 6 फरवरी 2008 को अकील को सूचना दी गई कि उसकी पत्नी की तबीयत बिगड़ गई है और तुरंत लखीमपुर आ जाए।
जब अकील अपनी पत्नी की तबीयत देखने ससुराल पहुंचा, तो वहां ससुराल वालों ने उस पर तलाक देने और दहेज का सामान लौटाने का दबाव बनाया। जब अकील ने इसका विरोध किया, तो उसके साथ मारपीट की गई। इसके बाद आग लगा दी गई। रात करीब 12 बजे अकील के भाई खलील को पुलिस से सूचना मिली कि उसके भाई की मौत हो गई है। जब वह लखीमपुर पहुंचा, तो अकील की लाश बुरी हालत में बाथरूम में पड़ी थी।
खलील की शिकायत पर अकील की पत्नी शाहीन, सास निसार जहां, ससुर एहतेशाम, साला असलम सहित आठ लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया गया। जांच के बाद पुलिस ने छह लोगों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की। मुकदमे की लंबी सुनवाई के दौरान ससुर एहतेशाम और साला असलम की मौत हो गई। अन्य आरोपियों के खिलाफ सबूत नहीं मिलने पर उन्हें अदालत ने बरी कर दिया।
17 साल बाद अब जाकर न्याय की प्रक्रिया पूरी हुई। अदालत ने आरोपी सास निसार जहां को दोषी मानते हुए उम्रकैद और 20,000 रुपये के जुर्माने की सजा सुनाई। एडीजे देवेन्द्रनाथ सिंह ने सजा सुनाते हुए आरोपी को जेल भेजने के आदेश दिए।