
मुकेश अंबानी की इस एक छोटी से गलती से मुसीबत में फंसे अनिल अंबानी, जानिए क्या है पूरा मामला
नर्इ दिल्ली। पहले अनिल अंबानी की कंपनी रिलायंस कम्युनिकेशन आैर मुकेश अंबानी की रिलायंस इंडस्ट्रीज के बीच होने वाली डील टूट गर्इ। अब स्वीडिश टेलिकाॅम इक्वीपमेंट मेकर एरिक्सन को अनिल अंबानी यदि पैसे नहीं चुकाते हैं तो उन्हें जेल की भी हवा खानी पड़ सकती है। इसके लिए सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें चार सप्ताह की माेहलत दी है। अनिल अंबानी के लिए एक आैर बुरी बात है कि दिवालिया होने से बचने के लिए उनके पास अब बहुत कम ही उम्मीद बची है। एेसे में कुछ बातों को देखेते हुए यह कहा जता है कि यदि मुकेश अंबानी चाहते तो अनिल अंबानी के लिए इतनी मुसीबते खड़ी नहीं होती। आइए जानते हैं वो बात।
जियो को स्पेक्ट्रम बेचकर रकम जुटाने का था आरकाॅम को प्लान
दोनों भाइयों के बीच डील टूटने का एक सबसे बड़ा कारण यह है कि मुकेश अंबानी ने आगे बढ़कर अनिल अंबानी की मदद नहीं की। अनिल अंबानी की आरकाॅम एसेट मोनाइटेजशन के तहत करीब 18 हजार करोड़ रुपए चुका सकती थी। आरकाॅम ने प्लान बनाया था कि वो यह रकम मुकेश अंबानी की रिलायंस जियाे को स्पेक्ट्रम बेचकर कमाएगी, लेकिन मुकेश अंबानी ने आरकाॅम के कर्ज का बोझ नहीं लिया।
सुप्रीम कोर्ट ने अनिल अंबानी को पाया अवमानना का दोषी
सुप्रीम कोर्ट ने माना कि दोनों के बीच इस डील के टूटने का कारण डिपार्टमेंट आॅफ टेलिकाॅम (डीआेटी) नहीं बल्कि मुकेश अंबानी ने अनिल अंबानी के पिछले कर्ज का चुकाने के लिए कुछ खास जहमत नहीं उठार्इ। कुछ दिन पहले ही सुप्रीम कोर्ट ने एरिक्सन को 550 करोड़ रुपए न चुकाने मामले में अवमानना का दोषी पाया है। कोर्ट ने अनिल अंबानी को साफ शब्दों में कहा है कि यदि वो चार सप्ताह के अंदर एरिक्सन को पैसे नहीं चुकाते हैं तो जेल की हवा खाने के लिए तैयार रहें।
पिछले कर्ज को देखते हुए दोनो पक्षाें को होना होगा सहमत
सुप्रीम कोर्ट ने डिआेटी को निर्देश दिया था कि बैंक की गारंटी के बजाय 1,400 करोड़ रुपये की कॉरपोरेट गारंटी को स्वीकार करने के बाद जियो को स्पेक्ट्रम बेचने के लिए आरकाॅम के समझौते को मंजूरी दे। साथ ही स्पेक्ट्रम शुल्क (SUC) कवर करने व 2,947 करोड़ रुपए का दावा करने के लिए आरकाॅम सहायक से जमीन का पार्सल दे, जिसको लेकर अनिल अंबानी की स्वामित्व वाली कंपनी ने विवाद खड़ा किया था। हालांकि, जियो ने डिआेटी को एक पत्र भेजकर सरकार से आश्वासन मांगा कि यह आरकाॅम के पिछले बकाया के लिए उत्तरदायी नहीं होगा। विभाग को बिक्री के लिए सहमति देने की कोई भी योजना बनाने के लिए खरीदार और विक्रेता दोनों को पिछले कर्ज को भी ध्यान में रखते हुए सहमत होना होगा।
Read the Latest Business News on Patrika.com. पढ़ें सबसे पहले Business News in Hindi की ताज़ा खबरें हिंदी में पत्रिका पर।
Updated on:
21 Feb 2019 03:41 pm
Published on:
21 Feb 2019 03:14 pm
बड़ी खबरें
View Allकॉर्पोरेट वर्ल्ड
कारोबार
ट्रेंडिंग
