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मुकेश अंबानी ने अपने छोटे भाई की फाइबर परिसंपत्तियों को 30 अरब रुपए में खरीदा

रिलायंस कम्युनिकेशंस ने सोमवार को कहा है कि उसने मुकेश अंबानी की रिलायंस जियो इन्फोकॉम को अपनी फाइबर परिसंपत्तियों और संबंधित बुनियादी ढांचे की संपत्ति को 30 अरब रुपए में बेच दिया है।

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रिलायंस जियो ने अनिल अंबानी की फाइबर परिसंपत्तियों 30 अरब रुपए में खरीदा

नर्इ दिल्ली। देश की सबसे बड़ी टेलीकाॅम कंपनी की आेर से बढ़ रही मुकेश अंबानी की कंपनी रिलायंस जियो ने छोटे भार्इ की रिलायंस इंफोकाॅम की फाइबर परिसंपत्तियों को खरीद लिया है। वास्तव में मुकेश अंबानी अपने छोटे भार्इ की मदद कर रहे हैं। रिलायंस इंफोकाॅम अनिल अंबानी के लिए घाटे का सौदा बन चुकी है। एेसे में मुकेश अंबानी जियो के माध्यम से इंफोकाॅम के सभी एसेट्स खरीदने का प्रयास कर रहे हैं। ताकि उन्हें बना बनाया इंफ्रस्ट्रक्चर आैर सिस्टम मिल सके। आइए आपको भी बताते हैं कि इस पूरी डील में रिलायंस कंयूनिकेशन की आेर से क्या बयान आया है।

30 अरब रुपए में हुर्इ डील
रिलायंस कम्युनिकेशंस ने सोमवार को कहा है कि उसने मुकेश अंबानी की रिलायंस जियो इन्फोकॉम को अपनी फाइबर परिसंपत्तियों और संबंधित बुनियादी ढांचे की संपत्ति को 30 अरब रुपए में बेच दिया है। बीएसई फाइलिंग में रिलायंस कम्युनिकेशंस ने कहा, इस लेनदेन के सफल समापन के साथ 1,78,000 किलोमीटर फाइबर स्टैंड जियो में ट्रांसफर हो गया है। पिछले हफ्ते रिलायंस कम्युनिकेशंस ने अपने मीडिया कन्वर्जेन्स नोड्स (एमसीएन) और संबंधित आधारभूत संरचना को 20 अरब रुपए में रिलायंस जियो इन्फोकॉम को बेचा था।

पिछले महीने हुर्इ इन पर डील
इस महीने की शुरुआत में रिलायंस कम्युनिकेशंस ने टेलीकॉम ट्रिब्यूनल द्वारा निर्धारित समयरेखा से पहले दूरसंचार विभाग के साथ 7.74 अरब रुपए की बैंक गारंटी बहाल की थी। साथ यह भी कहा था कि 250 अरब रुपए ये संपत्ति बिक्री योजनाएं ट्रैक पर हैं। पिछले साल अनिल अंबानी के स्वामित्व वाली रिलायंस कम्युनिकेशंस ने रिलायंस जियो के साथ वायरलेस स्पेक्ट्रम, टावर, फाइबर और एमसीएन संपत्तियों की बिक्री के लिए एक समझौते पर हस्ताक्षर किए थे। दिसम्बर 2017 में घोषित सौदा, 800/900/1800/2100 मेगाहट्र्ज बैंड में 4जी स्पेक्ट्रम के 122.4 मेगाहर्ट्ज पैक के लिए किया गया था।

45 हजार करोड़ रुपए का था कर्ज
अनिल अंबानी अपने कर्ज को कम करने के लिए दिसंबर 2017 में अपने एसेट्स रिलायंस जियो को बेचने फैसला किया था। आरकॉम पर मार्च 2017 तक बैंकों का 45 हजार करोड़ रुपए का कर्ज था। एरिक्सन ने बीते सितंबर में 1,150 करोड़ रुपये के बकाया भुगतान के लिए कंपनी के खिलाफ दिवालिया प्रक्रिया का आवेदन किया था। यही नहीं चीन की कम्पनी 'चाइना डिवेलपमेंट बैंक' (सीडीबी) ने आरकॉम के खिलाफ 24 नवंबर को लॉ ट्राइब्यूनल में बैंकरप्सी के लिए आवेदन किया था।