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AKTU में खाली हैं हजारों सीटें, अब डायरेक्ट एडमिशन से रहेगी भरने की कोशिश

डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम टेक्निकल यूनिवर्सिटी में इस बार 70 फीसदी से ज्यादा सीटें खाली हैं।

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Students city of india - mp

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लखनऊ. डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम टेक्निकल यूनिवर्सिटी में इस बार 70 फीसदी से ज्यादा सीटें खाली हैं। ऐसे में अब डायरेक्ट एडमिशन से ही संबद्ध संस्थान सीटें भरने का प्रयास करेंगे। बता दें कि तीनों चरणों की काउंसलिंग पूरी हो गई। प्रदेश भर के संस्थानों में दाखिले के लिए केवल 29 हजार 495 अभ्यर्थियों ने ही सीट लॉक की हैं जबकि एक लाख 47 हजार सीटें हैं। एक बार फिर एकेटीयू सीटें भरने में पूरी तरह से असफल रहा। सत्र 2018-19 के लिए यूपीएसईई में कुल एक लाख 43 हजार अभ्यर्थी शामिल हुए थे। इसमें से एक लाख 26 हजार अभ्यर्थियों को काउंसलिंग में बुलाया गया था। विवि प्रशासन ने तीन चरणों में काउंसलिंग प्रक्रिया पूरी की थी।

एसईई के को-ऑर्डिनेटर प्रो. एके कटियार ने बताया कि पहले चरण की काउंसलिंग में सबसे अधिक करीब 20 हजार अभ्यर्थियों ने सीट लॉक की थी। वहीं दूसरे व तीसरे चरण की काउंसलिंग को मिलकर कुल 29 हजार 495 अभ्यर्थियों ने ही सीटें लॉक की। इस तरह से एक लाख 17 हजार 505 सीटें खाली रह गई हैं। एकेटीयू प्रशासन को पहले से ही आशंका थी कि सीटें भरना मुश्किल होगा। यही वजह थी कि पहले ही करीब 18 हजार सीटें कम की थी। इसमें इंजीनियरिंग व मैनेजमेंट दोनों ही पाठ्यक्रमों की सीटें शामिल थीं।

यूपीएसईई को-ऑर्डिनेटर प्रो. कटियार ने बताया कि गलगोटिया, एकेजे समेत राजधानी व अन्य शीर्ष संस्थानों की भी सीटें नहीं भर सकी हैं। हालांकि इन संस्थानों में खाली सीटों की संख्या काफी कम हैं। कुछ दिन बाद एकेटीयू इससे संबंधित जानकारी साझा कर खाली सीटों का ब्योरा जारी करेगा।प्रत्येक निजी संस्थान में 15 फीसदी सीटें मैनेजमेंट कोटे की होती हैं। अन्य दस फीसदी सीटें एनआरआई की होती हैं। इन सीटों पर संस्थान अपने स्तर से दाखिले कर सकते हैं। एकेटीयू प्रशासन को अब सीधे दाखिलों से ही सीटें भरने की उम्मीद है।

बीटेक की सबसे ज्यादा सीटें खाली हैं

जितनी सीटें खाली है दरअसल सबसे अधिक सीटें बीटेक की हैं। इसमें करीब 90 हजार सीटें हैं। बीटेक में छात्रों की रुचि कम होने से ही सीटें अधिक खाली हैं। जानकारों के मुताबिक इंजीनियरिंग क्षेत्र में छात्रों की रुचि कम हुई है। वहीं जो छात्र इंजीनियरिंग में करियर बनाना चाहते हैं वह आईआईटी सहित अन्य इंजीनियरिंग के शीर्ष संस्थानों की तरफ रुख कर रहे हैं। यही वजह है कि एकेटीयू की सीटें भरना मुश्किल हो रहा है।