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लखनऊ

मिशन 2022: यूपी में ‘सियासी महासंग्राम’ से पहले पासा फेंकने में लगीं पार्टियां

पिछले कई विधानसभा चुनावों से अलग इस बार उत्तर प्रदेश में जातीय समीकरणों को साधने की तस्वीर नजर आ रही है।

लखनऊAug 03, 2021 / 01:52 pm

lokesh verma

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उत्तर प्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनाव(UP assembly elections) में सभी राजनीतिक पार्टियां इस बार जातीय समीकरणों को साधने में जुटी हुई हैं। सत्ताधारी बीजेपी(BJP) ओबीसी और दूसरी पिछड़ी जातियों को पर नजर गढ़ाएं बैठी है तो बीएसपी(BSP) सुप्रीमो मायावती और अखिलेश यादव भी अपने कोर वोटर्स के बाद ब्राह्मण मतदाताओं पर डोरे डाल रहे हैं। जबकि यूपी में बेदम दिख रही कांग्रेस(Congress) में प्रियंका गांधी पूरी तरह से जान फूंकने में जुटी हुई हैं।
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जातीय समीकरण ठीक करने में जुटीं पार्टियां

पिछले कई विधानसभा चुनावों से अलग इस बार उत्तर प्रदेश(Uttar Pradesh) में जातीय समीकरणों को साधने की तस्वीर नजर आ रही है। यानी उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव से पहले जातियों को लेकर अलग तरह की लामबंदी शुरू हो गई है। चुनाव में अस्तित्व बचाने की जद्दोजहद कर रही बीएसपी जहां एक तरफ ब्राह्मणों को लुभाने में जुटी है। तो वहीं सत्ताधारी बीजेपी ओबीसी और दूसरी पिछड़ी जातियों पर नजर गढ़ाए बैठी है।
ब्राह्मणों को रिझाने में जुटी सपा

समाजवादी पार्टी(Samajwadi Party) के लिए भी चुनौतियां कम नहीं है क्योंकि जहां एक तरफ पिछली बार की तरह वोटों के ध्रुवीकरण का खतरा है तो वहीं गैर यादव और पिछड़ी जातियों में दूसरे बड़े दलों के दखल का खतरा भी बराबर बना है। अब ऐसे में सामजवादी पार्टी के लिए अपने कोर वोटर्स के साथ ब्राह्मणों अपने पाले में लाना किसी बड़ी चुनौती से कम नहीं है।
सुख-दुख में खड़ी रहती है बीजेपी: राकेश त्रिपाठी

उत्तर प्रदेश बीजेपी के प्रवक्ता राकेश त्रिपाठी इस मुद्दे पर प्रतिक्रिया देते हुए कहते हैं कि कुछ राजनीतिक दल ऐसे हैं जो केवल चुनाव के वक्त ही सक्रिय होते हैं। चुनाव के दौरान ही वो जनता के बीच में वोटों के लिए रिझाने के लिए जाते हैं, लेकिन बीजेपी 365 दिन सक्रिय रहती है। बीजेपी जनता के सुख-दुख में शामिल होती है। इसलिए बीजेपी चुनाव दर चुनाव सफलता पा रही है। जनता के दिलों में अपना स्थान बना रही है। केवल चुनाव के समय यात्राओं को करने से जनता साथ खड़ी नहीं होगी।
गांव-गांव साइकिल यात्रा करेगी सपा: विवेक साइलस

वहीं इस मुद्दे पर सपा प्रवक्ता विवेक साइलस कहते हैं कि बेरोजगारी, महंगाई और किसानों के मुद्दे के साथ हम लोग चुनाव में जाएंगे। इसके अलावा उत्तर प्रदेश में महिलाओं पर अत्याचार हो रहा है। कानून-व्यवस्था, स्वास्थ्य सुविधाएं और भ्रष्टाचार भी बड़ा मुद्दा है। जनता से जुड़े मुद्दों को लेकर समाजवादी पार्टी गांव-गांव साइकिल यात्रा करने जा रही है।
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योगी सरकार ने किया है भेदभाव: अंशु अवस्थी

उत्तर प्रदेश कांग्रेस के प्रवक्ता अंशु अवस्थी कहते हैं कि यूपी की योगी सरकार ने युवाओं के साथ, महिलाओं के साथ और किसानों के साथ जो भेदभाव किया है। इन्हीं मुद्दों को लेकर कांग्रेस प्रियंका गांधी के नेतृत्व में आगे बढ़ रही है। कांग्रसे पार्टी दलितों के साथ जो लगातार अत्याचार हुआ है उसको लेकर दलित स्वाभिमान यात्रा निकाल रही है।
बहरहाल, सभी पार्टियों के अपने-अपने तर्क हैं, मुद्दे सब गिनाते हैं लेकिन जातियों को साधने में कोई पीछे नहीं है। कांग्रेस हो, बीजेपी हो, बसपा हो या फिर सपा हो…बीजेपी चुकी सत्ता में है इसलिए सब उससे मिलकर लड़ रहे हैं। रणनीति किसकी कितनी कारगर होगी ये धीरे-धीरे चुनाव नजदीक आएगा, चुनाव संपन्न होगा और परिणाम आने के बाद ही स्पष्ट होगा। लेकिन उत्तर प्रदेश में जो जातिगत समीकरण की राजनीति कोई नई बात नहीं है। वो बात अलग है कि 2014, 2017 और 2019 के चुनाव में बीजेपी जातिगत राजनीति का ढ़ाचा तोड़कर सत्ता में आई, लेकिन बाकी दल आज भी जातिय समीकरण पर जोर दे रहे हैं।

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