
Mob Lynching in UP : आत्मरक्षा के लिए मुस्लिम, दलित लेंगे शस्त्र लाइसेंस
पत्रिका एक्सक्लूसिव
लखनऊ. धर्म विशेष के लोगों से जबरन धार्मिक नारे लगवाने और धर्म-जाति के आधार पर जुल्म-ज्यादती (Mob Lynching) की खबरें हाल के दिनों में यूपी में सुर्खियों में रही हैं। पुलिस की सूझबूझ और स्थानीय लोगों की सक्रियता से विवाद होते-होते बचा। लेकिन इन घटनाओं की प्रतिक्रिया अब मुखर रूप में सामने आयी है। मॉब लिचिंग से बचने के लिए दलित, मुस्लिम और आदिवासी न केवल आत्मरक्षा के गुर सीखेंगे, बल्कि इसके लिए शस्त्र लाइसेंस के लिए अभियान चलाकर देशभर में आवेदन भी करेंगे। इसकी शुरुआत लखनऊ में 26 जुलाई से होगी।
हाल ही में पश्चिमी यूपी में मेरठ के सरधना कस्बे में एक मस्जिद के इमाम मुफ्ती इमलाकुर्रहमान ने आरोप लगाया था कि अनजान युवकों ने उन्हें रोककर मारा-पीटा और जयश्री राम का नारा लगवाया। 11 जुलाई को उन्नाव में भी एक घटना घटी। मदरसा छात्रों ने हिंदू युवकों पर पिटाई करने और जय श्रीराम का नारा लगवाने का आरोप लगाया। इसी तरह कानुपर के बाबूपुरवा में जय श्रीराम न बोलने पर आतिब नाम के मुस्लिम युवक को शौचालय में बंद कर पिटाई करने का मामला सामने आया था। इस मामले में खूब हंगामा हुआ था। बाद में पता चला कि यह पूरा मामला फर्जी था। कुछ अराजकतत्व साम्प्रदायिक माहौल बिगाडऩा चाहते थे। हालांकि, इन मामलों को यूपी पुलिस ने आपसी मारपीट का बताया। पुलिस के मुताबिक अराजक तत्वों ने इन मामलों को धार्मिक रंग देने की कोशिश की।
दलितों पर बढ़े अपराध
मानवाधिकार संगठन एमनेस्टी इंडिया ने बीते दिनों जारी एक रिपोर्ट में कहा है कि वर्ष 2018 में उप्र में सबसे ज़्यादा 57 मामले दलित अपराध (हेट क्राइम) के सामने आए हैं। यह लगातार तीसरा वर्ष है जब यूपी ऐसे अपराधों में शीर्ष पर है। वर्ष 2017 में 50 और 2016 में 60 मामले दर्ज किए गए थे।
मायावती ने घटनाओं की निंदा की
बसपा सुप्रीमो मायावती (Mayawati) ने कहा कि यूपी सहित कुछ राज्यों में जबरन धार्मिक नारे लगवाने और वर्ग विशेष पर जुल्म-ज्यादती की नयी प्रथा चल पड़ी है, यह गलत और अति-निन्दनीय है। केन्द्र व राज्य सरकारों को इस हिंसक प्रवृति पर सख्त रवैया अपनाने की जरूरत है, ताकि भाईचारा व सद्भावना बनी रहे।
क्या कहते हैं जिम्मेदार
मेरठ में का मामला मारपीट का है। इसे धार्मिक रंग देने की कोशिश की गयी। मुकदमा दर्ज है। जांच की जा रही है। अभी तक की जांच में धार्मिक एंगल जैसी कोई बात सामने नहीं आई है।- शैलेश कुमार पांडे, पुलिस अधीक्षक, बागपत
उन्नाव की घटना में जांच में पता चला है कि जय श्रीराम के नारे लगवाने के आरोप असत्य हैं। मारपीट की बात सामने आई है। जानबूझकर इस मामले को साम्प्रदायिक रंग देने की कोशिश की गई। साजिशकर्ताओं की तलाश है।- एमपी वर्मा, पुलिस अधीक्षक,उन्नाव
कानपुर में जय श्रीराम नारे के विवाद में युवक की पिटाई की जिसने भी अफवाह फैलाई है, उन्हें चिन्हित कर कड़ी कार्रवाई की जाएगी। इस मामले में पुलिस ने दो लोगों को गिरफ्तार भी किया है।- अनंत देव तिवारी,एसएसपी, कानपुर शहर
Published on:
15 Jul 2019 04:17 pm
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