
बाबा रामदेव पतंजलि का लंगोट भी बेचेंगे लेकिन खरीदेगा कौन
लखनऊ. बाबा रामदेव की कंपनी पतंजलि मार्केट में लंगोट उतारने जा रही है। बाबा परिधान ब्रांड के तहत अंडर गारमेंट की श्रृंखला बाजार में उतारने जा रहे हैं। इसमें लंगोट भी शामिल है। बाबा की इस पहल का पहलवानों ने स्वागत किया है। लेकिन, युवा पीढ़ी ने सवाल उठाया कि कि आखिर बाबा का लंगोट पहनने वाले आज कितने लोग बचे हैं?
परिधान ब्रांड से बाबा नया वेंचर जल्द ही मार्केट में आने वाला है। इसके तहत बाबा रामदेव की कंपनी स्वदेशी तकनीक से बनी अंडरवियर, बनियान और ब्रॉ के अलावा लंगोट भी बेचेंगे। लखनऊ में पंतजलि के स्टोर मैनेजर ने बताया कि अभी हमारे यहां स्वदेशी कपड़ों की खेप नहीं आयी है लेकिन कंपनी ने बताया है कि जल्द ही अंडरगारमेंट की भी बिक्री भी शुरू हो जाएगी। इस संबध में जब पत्रिका ने लखनऊ के युवाओं से बात की तो लंगोट को लेकर तरह-तरह की प्रतिक्रियाएं सामने आयीं। अधिकांश युवाओं ने बताया कि हमने लंगोट का नाम तो सुना है। लंगोट कस लेने का मुहावरा भी सुनते आएं हैं लेकिन आज तक लंगोट पहना नहीं है। घर में भी कोई पुरुष लंगोट नहीं धारण करता। युवाओं का कहना है कि कंपनी को पहले लंगोट पहनने के फायदे गिनाने पड़ेंगे। तब इसकी डिमंाड बढ़ेगी। जबकि लखनऊ के अखाड़ों के पहलवानों का कहना है कि बाबा ने भारतीय पंरपरा को बचाने के लिए बहुत ही नेक पहल की है। क्योंकि अब लंगोट मिलना मुश्किल हो रहा है। आजकल के दर्जी तो लंगोट सिल भी नहीं पाते हैं।
क्या है लंगोट का इतिहास
आज सिर्फ पहलवानों तक ही लंगोट सीमित रह गई है? आज के नवजवान और बूढ़े विदेशी अंडरवियर पहनने लगे हैं। लेकिन लंगोट पूरी तरह भारतीय परिधान है। लंगोट का इतिहास रामायण और महाभारत काल से जुड़ा है। शुरु में इसे ***** को ढंकने के लिए बनाया गया था। इसको कभी भी इनरवियर की तरह इस्तेमाल नहीं किया गया। रामायण के समय भगवान हनुमान लंगोट पहनते थे। उनकी लाल लंगोट आज भी देखी जा सकती है। पहले लंगोट ब्रह्मचर्य जीवन का पालन करने वाले भी धारण करते थे। लंगोट शारीरिक बल को भी दर्शाती थी। महाभारत में भी लंगोट का जिक़्र है। माता गांधारी के सामने दुर्योधन शक्ति प्राप्त करने गए थे। लेकिन नग्न होकर मां के सामने न जाकर वह पत्तों से बनी एक लंगोट पहन लिए। इसलिए लंगोट के कारण दुर्योधन की जांघ में ताकत नहीं आ पायी। इसी जांघ पर प्रहार के बाद उनकी मौत होती है।
बाद के दिनों में लंगोट का चलन पीछे छूट गया और तन ढकने के लिए धोती आयी। फिर इनरवियर के रूप में कच्छा और चड्ढी और नेकर आयी। अब मॉडर्न जमाने के अंडरवियर पहनते हैं लोग।
Published on:
11 Oct 2018 05:31 pm
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