बशीर बद्र एमए में एडमिशन के लिए पहुंचे तो प्रोफेसर ने कहा- इनकी गजलें तो हम कोर्स में पढ़ा रहे हैं।
आंखों में रहा दिल में उतर कर नहीं देखा
कश्ती के मुसाफिर ने समंदर नहीं देखा।
महबूब का घर हो कि बुजुर्गों की जमीनें
जो छोड़ दिया फिर उसे मुड़कर नहीं देखा।
खत ऐसा लिखा है कि नगीने से जड़े हैं
वो हाथ कि जिसने कोई जेवर नहीं देखा।
पत्थर मुझे कहता है मेरा चाहने वाला
मैं मोम हूं उसने मुझे छू कर नहीं देखा।
एक ही गजल में तमाम जज्बातों को समेटने वाले ये शायर बशीर बद्र हैं। बशीर बद्र, जिनकी गजलों पर 70 साल से शायरी के दीवाने झूम रहे हैं। उत्तर प्रदेश के अयोध्या में पैदा हुए बशीर बद्र का आज जन्मदिन है। बशीर बद्र की शायरी और जिंदगी के तमाम किस्से हैं लेकिन उनके एमए में एडमिशन का किस्सा बेहद दिलचस्प है।
कभी यूं भी आ मेरी आंख में
कि मेरी नजर को खबर ना हो।
मुझे बस एक रात नवाज दे
मगर उसके बाद फिर सहर ना हो।
इस खूबसूरत शेर के मालिक बशीर बद्र बहुत कम उम्र में शायरी करने लगे थे। ऐसे में हुआ ये कि उनके एमए में पहुंचने से पहले उनकी गजल एमए के सिलेबस में शामिल हो गईं। ये क्या किस्सा था, खुद उनकी बीवी राहत बद्र ने एक इंटरव्यू में कुछ साल पहले बताया था।
पिता की मौत की वजह से बीच में छूटी पढ़ाई
राहत कहती हैं, 'बशीर बद्र साब की उम्र 15 साल की थी, जब उनके वालिद का इंतकाल हुआ। इसने कई जिम्मेदारियां उन पर डाल दी। घर की जिम्मेदारी आई तो उनकी पढ़ाई 10वीं के बाद छूट गई। कुछ साल बाद फिर से उन्होंने पढ़ाई शुरू की। इंटर और बीए के बाद वो 34 साल की उम्र में 1969 में एमए करने के लिए अलीगढ़ यूनिवर्सिटी पहुंचे। 1969 तक बशीर बद्र की गजलें इतनी मशहूर हो चुकी थीं कि वो यूनिवर्सटी के सिलेबस का हिस्सा थीं।"
राहत बताती हैं, "AMU में एमए के सिलेबस में बशीर साब की गजलें शामिल हो चुकी थीं। उनका एडमिशन हुआ तो स्टूडेंट ने सवाल किया कि क्या वो अपनी गजल पढ़कर ही परीक्षा देंगे। ऐसे में वही टॉप करेंगे। ये एतराज प्रोफेसर तक पहुंचा। इसके बाद डिपार्टमेंट ने कहा कि हम उनके लिए अलग पेपर बनाएंगे। उनके लिए अलग पेपर बना। बशीर बद्र साब ने एग्जाम दिया और टॉप भी किया।"
पीएचडी की डिग्री मिली 46 साल बाद
बशीर बद्र ने अपनी पीएचडी भी अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी से की है। हालांकि उनको पीएचडी की डिग्री 46 साल बाद 2021 में मिली। साल 1975 में जब AMU में उनको डिग्री मिलनी थी तो वो पहुंच नहीं सके। इसके बाद भी उनका ध्यान नहीं गया। कुछ साल पहले उनकी पत्नी राहत ने एएमयू में सपंर्क कर उनकी डिग्री मांगी। इसके बाद एएमयू ने डाक से उनकी पीएचडी भेजी।