Maha Shivratri 2018 : भगवान शिव का टूटे चावल से न करें अभिषेक, नहीं तो होगा भारी नुकसान
Maha Shivratri 2018 : भगवान शिव का टूटे चावल से अभिषेक नहीं करना चाहिए और न ही सिन्दूर से उनका तिलक करना चाहिए।

Maha Shivratri 2018 : महाशिवरात्रि हिन्दुओं का एक प्रमुख त्योहार है। अगर आप महाशिवरात्रि के पर्व पर व्रत रख रहे हैं। तो जान लीजिए कि भगवान शिव का टूटे चावल से अभिषेक नहीं करना चाहिए और न ही सिन्दूर से उनका तिलक करना चाहिए। यदि आप ऐसा करते हैं तो आपकी पूरे दिन की पूजा भंग हो जाएगी और आपसे भगवान शिव रूठ जाएंगे। इससे आपको कई प्रकार की परेशानियां हो सकती हैं जिससे आपकी किस्मत खराब हो सकती है। जिससे आपको बहुत नुकसान हो सकता है। इसलिए आप सभी भगवान शिव का टूटे चावल से अभिषेक करने से बचें और सिन्दूर से तिलक करने से भी बचें।
ये भी पढ़ें - महाशिवरात्रि का पर्व किस तारीख को है, जानिए शुभ मुहूर्त
यह भगवान शिव का प्रमुख पर्व है। महाशिवरात्रि का पर्व 13 या 14 फरवरी 2018, को मनाया जाएगा। पूजा का समय 24:09 से 25:01 तक रहेगा मुहूर्त की अवधि कुल 51 मिनट की है। माना जाता है कि सृष्टि का प्रारंभ इसी दिन से हुआ था। पौराणिक कथाओं के अनुसार इस दिन सृष्टि का आरम्भ अग्निलिङ्ग ( जो महादेव का विशालकाय स्वरूप है ) के उदय से हुआ था। अधिक तर लोग यह मान्यता रखते है कि इसी दिन भगवान शिव का विवाह देवि पार्वति के साथ हुआ था। साल में होने वाली 12 शिवरात्रियों में से महाशिवरात्रि को सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है।
महाशिवरात्रि की पूरी कहानी
एक बार नारद मुनि शिवलोक गए। वहां जाकर उन्होंने वैष्णवों में श्रेष्ठ शिव जी का यह कह कर गुणगान करना शुरु कर दिया कि आप तो भगवान श्रीकृष्ण के सबसे प्रिय हैं। आपका उनसे कोई भेद नहीं है। आप और वे एक ही हैं। आप जीवों का हर तरह से कल्याण कर सकते हैं, यहां तक कि कृष्ण-प्रेम भी दे सकते हैं। अपनी महिमा सुन कर शिव जी ने बड़ी विनम्रता से नारद जी से कहा कि मैं तो श्रीकृष्ण का तुच्छ सा सेवक हूं, ये तो उनकी अहैतुकी कृपा है कि वे अपनी सेवाएं मुझे प्रदान करते हैं।
श्रीमद् भागवत में एक और प्रसंग है कि एक बार देवताओं और दैत्यों ने मिल कर भगवान के निर्देशानुसार समुद्र मंथन की योजना बनाई ताकि अमृत प्राप्त किया जा सके। परंतु उस समुद्र मंथन के समय सबसे पहले हलाहल विष निकला था। वह विष इतना विषैला था कि उससे समस्त जगत भीषण ताप से पीड़ित हो गया था। देव-दैत्य बिना पिए उसको सूंघते ही बेसुध से हो गए।
तब भगवान ने अपनी शक्ति से उनको ठीक किया। देवों ने जब इस विष से बचने का उपाय पूछा तो भगवान ने कहा कि शिवजी से अगर आप सब लोग प्रार्थना करें तो वे इसका हल निकाल लेंगे। श्रीशिव जी महाराज ने देवताओं की प्रार्थना पर भगवान की प्रसन्नता के लिए उस हलाहल विष को पीने का निर्णय लिया। अपने हाथों में उस विष को पी गए। किंतु उसको निगला नहीं। आपने विचार किया कि मेरे हृदय में रहने वाले भगवान को यह रुचेगा नहीं। इसलिए आपने वह विष अपने गले में ही रोक लिया। जिसके प्रभाव से आपका गला नीला हो गया और आप नीलकंठ कहलाए। आपकी ऐसी अद्भुत व अलौकिक चेष्टा की याद में ही श्री शिवरात्री मनाई जाती है। इस कथा के अनुसार इसीलिए महाशिवरात्रि का पर्व मनाया जाता है।
हिन्दू पंचांग कलेंडर के अनुसार एक साल मे शिवरात्रि ?रि होती है। शिवरात्रि प्रत्येक हिन्दू महीने क? कृष्ण ?? चतुर्दशी जो हर महीने का अंतिम दिन होता है उसी दिन शिवरात्रि मनाई जाती है। लेकिन माघ महीने की कृष्ण चतुर्दशी को महाशिवरात्रि के तोर पर मनाया जाता है। पुरे भारत वर्ष में इसी दिन महाशिवरात्रि बड़े ही धूमधाम से मनाई जाती है।
ये भी पढ़ें - जानिए महाशिवरात्रि व्रत का समय पूजा विधि और महत्व, भगवान शिव का सर्वश्रेष्ठ व्रत
महाशिवरात्रि ये हैं शुभ मुहूर्त
1. वर्ष 2018 में महाशिवरात्रि का पर्व 13 या 14 फरवरी 2018, को मनाया जाएगा।
2. इस दिन शिवरात्रि निशिता काल पूजा का समय 24:09 से 25:01 तक रहेगा। मुहूर्त की अवधि कुल 51 मिनट की है।
3. 14 तारीख को महाशिवरात्रि पारण का समय 07:04 से 15:20 तक रहेगा।
4. रात्रि पहले प्रहर पूजा का टाइम = 18:05 से 21:20 तक
5. रात के दूसरा प्रहर में पूजा का टाइम = 21:20 से 24:35 तक
6. रात्रि तीसरा प्रहर पूजा का टाइम = 24:35+ से 27:49 तक
7. रात्रि चौथा प्रहर पूजा का टाइम = 27:49+ से 31:04 तक
8. चतुर्दशी तिथि 13 फरवरी 2018, मंगवलार 22:34 से प्रारंभ होगी जो 15 फरवरी 2018, 00:46 बजे खत्म होगी।
अब पाइए अपने शहर ( Lucknow News in Hindi) सबसे पहले पत्रिका वेबसाइट पर | Hindi News अपने मोबाइल पर पढ़ने के लिए डाउनलोड करें Patrika Hindi News App, Hindi Samachar की ताज़ा खबरें हिदी में अपडेट पाने के लिए लाइक करें Patrika फेसबुक पेज