राज्यपाल ने कहा कि दीक्षान्त हुआ है पर जीवन का दूसरा पड़ाव अब शुरू होगा। संगीत से जुड़े जिन विद्यार्थियों को आज उपाधि प्रदान की गयी है वे अपनी कला को संवारने के लिये निरन्तर रियाज करें। संगीत का संबंध शरीर, मन एवं आत्मा से है। मनुष्य के अंतर्मन तक पहुंचने की शक्ति संगीत में सर्वाधिक है। भारत का सांस्कृतिक परिदृश्य बहुत समृद्ध है। इसे सहेजकर रखना होगा। भारतीय संगीत को संरक्षण और संवर्धन प्रदान करते हुये आने वाले पीढ़ी को प्रेरित करने की दिशा में आगे ले जाने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि जो रियाज करता है वही आगे बढ़ता है।
राम नाईक ने दीक्षान्त समारोह के आकड़े प्रस्तुत करते हुये बताया कि अब तक 19 विश्वविद्यालयों के दीक्षान्त समारोह सम्पन्न हो चुके हैं। इस वर्ष अब तक सम्पन्न दीक्षान्त समारोह में 8.99 लाख उपाधियाँ वितरित की जा चुकी है जिनमें 54 प्रतिशत उपाधियाँ छात्राओं को मिली है जो गत वर्ष की तुलना में 3 प्रतिशत अधिक है। इसी प्रकार 65 प्रतिशत पदक छात्राओं ने अर्जित किये हैं। गत वर्ष 15.60 लाख विद्यार्थियों को उपाधियां प्रदान की गयी थी जिनमें 51 प्रतिशत उपाधियाँ तथा 66 प्रतिशत पदक छात्राओं को मिले थे। उन्होंने कहा कि महिलायें हर क्षेत्र में पुरूषों को कड़ी स्पर्धा दे रही हैं।
राज्यपाल ने पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का स्मरण करते हुये कहा कि वर्तमान में महिलाओं का सशक्तीकरण प्रधानमंत्री के रूप में उनके द्वारा चलाये गये सर्वशिक्षा अभियान तथा वर्तमान प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के ‘बेटी बचाओ- बेटी पढ़ाओ’ अभियान का परिणाम है। राज्यपाल ने कहा कि महाराष्ट्र में जन्में पं0 विष्णु दिगम्बर पलुस्कर और पं0 विष्णु नारायण भातखण्डे ने उत्तर प्रदेश में शास्त्रीय संगीत की अलख जगायी। उन्होंने यह भी बताया कि यह वर्ष गीत रामायण लिखने वाले प्रसिद्ध जीडी मडगुलकर तथा गीत रामायण गाने वाले सुधीर फड़के का जन्म शताब्दी वर्ष है। उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र के बीच हुये सांस्कृतिक अनुबंध के अंतर्गत वाराणसी, आगरा और मेरठ में गीत रामायण के कार्यक्रम आयोजित किये जायेंगे।