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भाजपा ने विचारधारा को मजबूत करने के लिए शुरू किया BJP Training Camp, आडवाणी का उदाहण देकर दी बड़ी चेतावनी

locationलखनऊPublished: Jul 16, 2019 01:09:35 pm

Submitted by:

Ruchi Sharma

-BJP कार्यकर्ताओं को विचारधारा की ट्रेनिंग दी जाएगी
-विचारधारा से अलग जाने पर खोना पड़ सकता है पद

BJP And RSS Traning Camp for Party Supporters in Lucknow

आडवाणी को बीजेपी में क्यों किया गया किनारे, पहली बार भाजपा ने खोला बड़ा राज, अपने बाकी नेताओं को भी दी ये चेतावनी

लखनऊ. भारतीय जनता पार्टी (Bharatiya Janata Party) अपने कार्यकर्ताओं के विचारधारा को मजबूत बनाने व उन्हें सीख देने के लिए एक विशेष ट्रेनिंग कैंप (BJP Training Camp) शुरू किया है। इस ट्रेनिंग कैंप में भाजपा BJP P कार्यकर्ताओं को विचारधारा की ट्रेनिंग दी जाएगी। यदि कोई भी कार्यकर्ता पार्टी के विचाराधा के विपरीत जाता है तो उसे गंभीर परिणाम भुगतना होगा। साथ ही पार्टी से हाथ भी धोना पड़ सकता है। खास बात यह है कि इसके लिए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) ट्रेनर लालकृष्ण आडवाणी (Lal Krishna Advani) का उदाहरण दे रहे हैं।
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एक हिंदी अखबार के खबर के मुताबिक ट्रेनिंग कैंप के दौरान कार्यकर्ताओं को बताया गया कि पाकिस्तान के संस्थापक मोहम्मद अली जिन्ना (Muhammad Ali Jinnah) को सेक्युलर बताने पर लालकृष्ण आडवाणी (Lal Krishna Advani) को बीजेपी के अध्यक्ष पद से हटा दिया गया था। जानकारी हो कि लालकृष्ण आडवाणी ने पाकिस्तान के व्यापक दौरे के दौरान जिन्ना के मज़ार पर गए और उन्होंने क़ायदे आज़म को धर्मनिरपेक्ष बताया था।
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आडवाणी ने पाकिस्तान जाकर जिन्ना को सेक्युलर बताया था। जिन्ना की मजार पर जाकर आडवाणी ने उन्हें ‘सेक्युलर’ और ‘हिंदू मुस्लिम एकता का दूत’ करार दिया था। अखबार ने उत्तर प्रदेश बीजेपी के उपाध्यक्ष जे पी राठौड़ से बात की है। राठौड़ ने बताया कि कोई भी व्यक्ति, नेता या कार्यकर्ता पार्टी और संघ की विचारधारा से ऊपर नहीं है। उन्होंने बताया कि यही बात पार्टी काडर को बताई गई है। उन्हें बीजेपी के वरिष्ठ नेताओं के उदाहरण दिए गए हैं जिसमें आडवाणी जी भी शामिल हैं जिन्हें पार्टी विचारधारा से अलग बयान देने पर अध्यक्ष पद खोना पड़ा था।
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हालांकि आडवाणी को 2009 के आम चुनाव में बीजेपी की तरफ से प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार बनाया गया था, लेकिन आडवाणी अपने पुराने रंग में कभी नहीं लौट पाए। इससे पहले तक आडवाणी को कट्टर हिंदू राष्ट्रवादी नेता के तौर पर जाना जाता था। लेकिन जिन्ना प्रकरण के बाद उनकी छवि ऐसी बिगड़ी कि अपने राजनीतिक जीवन में वे फिर कभी उबर नहीं पाए।
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