
Brij Bhushan Sharan Singh: महिला पहलवानों के यौन शोषण के आरोपों से घिरे भाजपा के बाहुबली सांसद और भारतीय कुश्ती संघ के अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह की अयोध्या में 5 जून को प्रस्तावित जन चेतना महारैली कैंसिल हो गई। शुक्रवार की सुबह पहले खबर आई कि प्रशासन ने रामकथा पार्क में रैली की इजाजत नहीं दी और कुछ देर बाद खुद बीजेपी एमपी बृजभूषण शरण सिंह ने फेसबुक पोस्ट के जरिए ऐलान किया कि 5 जून की रैली को कुछ दिन के लिए स्थगित कर दिया गया है। 18 मई को इस रैली के ऐलान के बाद से बृजभूषण लगातार क्षेत्र में घूम रहे थे और कई जगहों पर रैली की तीन-तीन राउंड की समीक्षा बैठक तक कर चुके थे। ऐसे में सवाल उठ रहा है कि बृजभूषण शरण सिंह को रैली क्यों टालनी पड़ी। आइए हम आपको इसके पीछे की कहानी बताते हैं...
इसका सबसे अहम कारण माना जा रहा है कि भाजपा नहीं चाहती कि पहलवानों का मुद्दा चर्चा में रहे। पार्टी इस मामले की जांच पूरी होने तक शक्ति प्रदर्शन नहीं चाहती थी क्योंकि रैली की तैयारी के सिलसिले में बृजभूषण लगातार घूम रहे थे और लगभग हर रोज मीडिया में आक्रामक बयान दे रहे थे जिससे मुद्दा ठंडा हो ही नहीं रहा था। सरकार ने पहलवानों को जंतर-मंतर से विदा करके मुद्दे से मीडिया का फोकस हटाया है, ऐसे में बृजभूषण शरण सिंह का मीडिया में बने रहना मुद्दे को मरने नहीं दे रहा था।
केंद्र सरकार का स्पष्ट रुख है कि पहलवानों की सारी मांगें मान ली गई हैं और आपराधिक आरोपों की दिल्ली पुलिस जांच कर रही है। भाजपा ने भले खुलकर नहीं कहा है लेकिन बीजेपी से जुड़े लोग सोशल मीडिया जिस तरह से पहलवानों के आरोपों पर सवाल उठा रहे हैं और सांसद को डिफेंड कर रहे हैं, उस हालात में इस रैली से गलत संदेश जाने का खतरा था।
अयोध्या सांकेतिक रूप से बीजेपी के लिए बहुत ही ज्यादा महत्वपूर्ण है और वहां के साधु-संत नैरेटिव के दौर में अहम स्थान रखते हैं। अगले साल जनवरी में राम मंदिर का उद्घाटन होना भी तय दिख रहा है। ऐसे में अयोध्या के साधु-संतों का बृजभूषण के पीछे जुटान और सांसद की रैली में उनकी बड़ी संख्या में मौजूदगी बीजेपी दुनिया को नहीं दिखाना चाहती थी। अयोध्या के साधु संत और बृजभूषण शरण सिंह की छवि एक साथ मिल जाए, साधु-संत सांसद के पैरोकार बनकर बचाव करते दिखें, इससे पार्टी बचना चाहती थी।
कांग्रेस लगातार पहलवानों के मुद्दे को उठा रही है और बृजभूषण शरण सिंह की गिरफ्तारी के लिए दबाव बना रही है। राकेश टिकैत लगातार सक्रिय हैं और उनकी वजह से पश्चिमी यूपी और दिल्ली से सटे इलाकों के किसानों का भी पहलवानों को समर्थन मिल रहा है। हरिद्वार में मेडल फेंकने गए खिलाड़ियों को नरेश टिकैत द्वारा मनाकर वापस लाने के बाद जाट समाज का खाप भी सक्रिय हो चुका है। मुजफ्फरनगर में एक पंचायत करने के बाद जाट कुरुक्षेत्र में शुक्रवार को दूसरी पंचायत कर रहे हैं।
कुल मिलाकर पहलवान और उनका समर्थन कर रही पार्टियां या संगठन शांत होने को तैयार नहीं हैं। ऐसे में बृज भूषण शरण सिंह की रैली से आमने-सामने का माहौल बनता और मुद्दा फिर से टीवी चैनलों पर जगह बनाता। लेकिन भाजपा पहलवानों के मुद्दे पर जल्द से जल्द शांति चाहती है। माना जाता है कि पार्टी के मन की बात बृज भूषण शरण सिंह को बता दी गई जिसके बाद उन्होंने रैली टालने का फैसला किया है।
Updated on:
02 Jun 2023 06:54 pm
Published on:
02 Jun 2023 06:52 pm
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