
पहले इस लड़के को सुपर-30 के आनंद कुमार ने पहुंचाया IIT, फिर सीएम अखिलेश यादव ने बनवाया इंजीनियर, आज कर रहा कुछ ऐसा जिसपर दोनों को फक्र
लखनऊ. IIT कर झुग्गी में रहने वालों बच्चों का भविष्य संवारने वाले बृजेश सरोज (Brijesh Saroj) की कामयाबी में समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) का अहम योगदान रहा है। समदर्शी फाउंडेशन संस्था (Samdarshi Foundation) की शुरुआत करने वालो बृजेश सरोज (Brijesh Saroj) ने अपने संघर्ष के दिनों में कई नेताओं से मिलकर मदद की अपील की। जिसके बाद आखिरकार उत्तर प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव बृजेश की मदद के लिये आगे आये। बृजेश की मदद के लिये बॉलीवुड के अभिनेता आमिर खान (Amir Khan) भी आगे आये। आपको बताते हैं बृजेश सरोज के संघर्ष की पूरी कहानी...
कुछ ऐसा छा बृजेश का आईआईटी मुम्बई का सफर
उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ (Pratapgarh) जिले में रहने वाले के बृजेश सरोज के पिता सूरत में बुनकर हैं। उनके परिवार की आर्थिक स्थिति अच्छी न होने के चलते उन्हें बचपन से ही काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ा। पैसों के अभाव में उन्होंने छोटी सी उम्र से ही काम करना शुरू कर दिया। वह कभी होटल में, तो कभी टेंट वाले के यहां काम करके कुछ पैसे कमाते थे, जिससे वह परिवार की कुछ मदद कर सकें। बृजेश सरोज के हाईस्कूल (10वीं) में 92 फीसदी तो इंटरमीडिएट (12वीं) में 95 फीसदी नंबर आए। आगोे की पढ़ाई के लिये बृजेश के पास ज्यादा पैसे नहीं थे, लेकिन फिर भी उनके पढ़ने लिखने की ललक उनके पंखों को उड़ान भरने से रोक न सकी और वह किसी तरह पैसे जुटाकर आनंद कुमार (Anand Kumar) की सुपर-30 (Super-30) में पढ़ाई करने पहुंचे। बृजेश की काबिलियत को देखकर आनंद कुमार भी काफी प्रभावित हुए और उसकी पढ़ाई पर ज्यादा ध्यान दिया। सुपर-30 से एक साल तैयारी कर बृजेश कुमार आईआईटी मुंबई (IIT Mumbai) में सेलेक्ट हुए। लेकिन उनका संघर्ष यहीं पूरा नहीं हुआ, बल्कि यहां से शुरू हुआ। अब बृजेश को दाखिला लेने के लिए पैसे जुटाने थे।
अखिलेश यादव ने की मदद
बृजेश की कामयाबी के चर्चे पूरे देश में हुए। जिसके बाद बृजेश ने मदद के लिये कई नेताओं ने सम्पर्क किया। उत्तर प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने उनकी मदद की। अखिलेश य़ादव बृजेश की मेहनत व लगन से इतने ज्यादा प्रभावित हुए कि उन्होंने आईआईटी मुम्बई में दाखिला कराने के लिये आने वाले खर्च को काफी हद तक उठाया। जिसके चलते वह सफलतापूर्वक अपनी आईआईटी की पढ़ाई पूरा कर सके। जब उनका दाखिला हुआ तब उन्होंने ठाना वो अपने जैसे बच्चों की मदद करेंगे। जो उनके साथ हुआ, वो किसी और के साथ न हो। वे पिछले 3 साल से मुंबई में हैं। बृजेश को आमिर खान ने भी बुलाया और सहायता की।
तीन गांवों को लिया गोद
उन्होंने जो समदर्शी संस्था बनाई उसका मतलब है सब बराबर। उनके एनजीओ में हर जाति धर्म के बच्चे पढ़ने आते हैं। वहां पढ़कर उनका दाखिला सरकारी स्कूल में होता है। खुद कामयाबी की राह पर खड़े होकर संघर्ष करने वालों को मज़बूती से अपना हाथ थमाने की हिम्मत सबमें नहीं होती। लेकिन ब्रजेश ऐसा कर रहे हैं। वे सिर्फ गरीब और नीची जाति के बच्चों को ही नहीं पढ़ा रहे बल्कि उन्होंने कसारा में तीन गांवों को गोद ले रखा है। वे उन गांवों में बुनियादी सुविधाएँ पहुंचाते हैं। जिन गांवों को उन्होंने गोद ले रखा है वे गांव पहाड़ पर हैं। बृजेश ने वहां पम्पिंग की सुविधा मुहैया कराई। चक्की लगवाई। वे प्लेसमेंट लेकर सिर्फ अपना भविष्य और परिवार की दशा ही नहीं सुधारना चाहते। समाज की मदद करना चाहते हैं ताकि सरकार और सिस्टम पर जनता का भरोसा बना रहे। बृजेश की कोशिशों की वजह से बहुत से बच्चों को मुफ्त में शिक्षा मिल रही है। शुरुआत से बेहतर पढ़ाई होती तो आगे उनका दाखिला अच्छे संस्थान में हो सकेगा। आज वो अपने सपनों की मंजिल पाने में बस कुछ ही दूर हैं।
Updated on:
26 Aug 2019 11:41 am
Published on:
26 Aug 2019 11:08 am
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