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Chanakya Niti: गंदगी में पडा सोना भी होता है कीमती, जानिए क्यो उठा लेना चाहिए

locationलखनऊPublished: Apr 29, 2022 10:55:25 am

Submitted by:

Snigdha Singh

Chanakya Niti in Patrika: आचार्य चाणक्य ने कहा है कि यदि किसी बुरा और बदनाम इंसान ये कुछ बेहतर फायदेमंद मिल रहा है तो बिल्कुल संकोच नहीं करना चाहिए।

Chankya Niti on Gold Marriage Knowledge and Reality of life

Chankya Niti on Gold Marriage Knowledge and Reality of life

आचार्य चाणक्य ने अपने नीति शास्त्र के जरिए जीवन से जुड़ी समस्याओं का समाधान बताया है। चाणक्य ने मनुष्य को प्रभावित करने वाले सभी विषयों को बहुत ही गहराई से अध्ययन किया था। आचार्य चाणक्य की अर्थनीति, कूटनीति और राजनीति विश्व विख्यात है, जो हर एक को प्रेरणा देने वाली है। चाणक्य नीति कहती है कि मनुष्य को हर परिस्थिति के लिए स्वयं को तैयार रखना चाहिए। जो स्वयं को समय आने पर नहीं बदलते हैं वे कष्ट और परेशानी भोगते हैं। आचार्य चाणक्य की इस बात को हर किसी को जानना और समझना चाहिए। आचार्य चाणक्य श्लोक के माध्यम से बताया कि यदि किसी बुरे इंसान से भी कुछ बेहतर प्राप्त होता है तो बिल्कुल संकोच नहीं करना चाहिए। खासकर ज्ञान तो बिल्कुल ले लेना चाहिए।
विषादप्यमृतं ग्राह्यममेध्यादपि काञ्चनम् ।
रनीचादप्युत्तमां विद्यांस्त्रीरत्नं दुष्कुलादपि ।।

इस श्लोक के माध्यम से आचार्य चाणक्य ने बताया है कि मनुष्य को जहर से भी अमृत निकाल लेना चाहिए। इसी प्रकार से यदि सोना गंदगी में भी पड़ा हो तो उसे उठा लेना चाहिए। इसमें थोड़ा भी संकोच नहीं करना चाहिए। इसके साथ ही यदि किसी कमजोर कुल मे जन्म लेने वाले से भी सर्वोत्तम ज्ञान मिल सकता है, उसे प्राप्त करने के लिए प्रयास करना चाहिए। क्योंकि इसमें कोई दोष नहीं है। चाणक्य कहते हैं कि यदि कोई बदनाम घर की कन्या भी महान गुणों से युक्त है और आपको कोई सीख देती है तो इसे भी अपनाने में संकोच नहीं करना चाहिए।
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सत्कुले योजयेत्कन्यां पुत्रं विद्यासु योजतेत् ।
व्यसने योजयेच्छत्रुं मित्रं धर्मे नियोजयेत् ।।
आचार्य चाणक्य इस श्लोक माध्यम से बताना चाहते हैं कि कन्या का विवाह अच्छे खानदान मे करना चाहिए। पुत्र को श्रेष्ठ शिक्षा देनी चाहिए, शत्रु को आपत्ति और कष्टों में डालना चाहिए, और मित्रों को धर्म कर्म में लगाना चाहिए। जो ऐसा करते वे सफलता प्राप्त करते हैं। इन बातों को जो ध्यान रखता है और अमल करता है, उसे कष्ट नहीं उठाने पड़ता हैं। इससे जीवन कुशलपूर्वक चलता है।
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