
सीएम योगी ने खेला बड़ा दांव, पश्चिमी यूपी में भाजपा को ऐसे करेंगे मजबूत
लखनऊ. यूपी में आरक्षण की राजनीति को फिर से हवा दी जा रही है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मंगलवार को कहा था कि सरकार जाटों को आरक्षण देने के पक्ष में है। उन्होंने ये बात यहां आयोजित सामाजिक प्रतिनिधि बैठक में जाट समाज के प्रतिनिधियों के सामने कही। रविवार को मायावती ने भीम आर्मी प्रमुख चंद्रशेखर पर जोरदार हमला बोला था। साथ ही मायावती ने यह भी कहा था कि अगर चंद्रशेखर को मेरा साथ देना ही है तो वे बसपा के झंडे तले आकर अपनी आवाज बुलंद करें।
वहीं कैराना लोकसभा उप चुनाव में दलित-मुस्लिम गठजोड़ के चलते भाजपा को हार का सामना करना पड़ा था। पश्चिमी यूपी में जाटों का अभी भी कोई सबसे मजबूत नेता है तो वह हैं अजीत सिंह। आज भी जाट आरएलडी के साथ ही खड़े दिखते हैं। अब सीएम योगी ने जोटों को आरक्षण देने की वकालत करके दलित-मुस्लिम गठजोड़, मायावती-चंद्रशेखर और अजित सिंह को मात देने के लिए एक बड़ा दांव चला है।
सीएम योगी आदित्यनाथ के इस बयान का मायने इस संदर्भ में भी लगाए जा रहे हैं कि भाजपा दलित-मुस्लिम गठजोड़, मायावती-चंद्रशेखर और अजित सिंह को जाटों को आरक्षण देकर मात देने के फिराक में है। बता दें कि जाट पश्चिमी यूपी में बहुतायत में हैं। मेरठ, बागपत, हापुड़, बुलंदशहर, एटा, मुजफ्फरनगर, मथुरा, आगरा सहित कई जिलों में जाटों की संख्या काफी है। योगी के इस बयान के बाद से कांग्रेस और आरएलडी समेत कई पार्टियों ने भाजपा और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर जमकर निशाना साधा है।
सीएम ने दिया था यह तर्क
जाट प्रतिनिधियों की बैठक के दौरान सीएम योगी ने आरक्षण को हवा दे दी है। उन्होंने कहा था कि जाट आरक्षण पर सरकार जाट समाज के साथ हैं। सरकार ने सामाजिक न्याय की समिति गठित की है। पिछली सरकार अपने लोगों के माध्यम से मामले को कोर्ट ले जाती थी। वो आरक्षण के समर्थन में नहीं थी। वहीं उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने कहा था कि 17 जिले जाट बाहुल्य हैं और आपके चलते ही बीजेपी को बहुमत मिला। डिप्टी सीएम ने कहा कि 2019 के चुनाव के लिए विपक्षी अफवाह फैला सकते हैं। केंद्र और प्रदेश की सरकार आपके साथ है।
इससे पहले भी उठी है आरक्षण की मांग
आरक्षण की मांग कोई नई नहीं है। यूपी में निषाद समाज, प्रजापति समाज भी आरक्षण के लिए मांग कर चुका है। जाटों ने तो आरक्षण के लिए कई बड़े प्रदर्शन किए हैं। बता दें कि सीएम योगी ने इससे पहले भी आरक्षण का मुद्दा उठाया था। उन्होंने बड़ा राजनीतिक दांव खेलते हुए अति पिछड़ों और अति दलितों को अलग से आरक्षण का ऐलान किया है। सीएम योगी ने विधानसभा में कहा था कि सरकार इसके लिए कमेटी भी बना रही है।
ये अति पिछड़ी जातियां हैं
निषाद, बिन्द, मल्लाह, केवट, कश्यप, भर, धीवर, बाथम, मछुआरा, प्रजापति, राजभर, कहार, कुम्हार, धीमर, मांझी, तुरहा और गौड़। इन जातियों को एससी की कैटेगरी में डालने पर विचार भी चल रहा है। इसे सरकार का पिछड़ी जातियों को लुभाने के बड़े फैसले के तौर पर देखा जा रहा है।
अभी तक आरक्षण क्यों नहीं दिया गया
इस मुद्दे पर आरएलडी प्रवक्ता अनिल दूबे ने कहा कि चुनाव आते ही बीजेपी को जाटों को आरक्षण देने की बात याद आ गई है। केंद्री में भाजपा की सरकार है उसके बाद भी अभी तक आरक्षण क्यों नहीं दिया गया। वहीं कांग्रेस के पदेश अध्यक्ष राजबब्बर ने कहा है कि चुनाव करीब है इसलिए बीजेपी को जाट याद आने लगे हैं।
Published on:
19 Sept 2018 05:40 pm
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