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Court Decision: पूर्व सांसद बृजभूषण शरण सिंह को हाईकोर्ट से राहत

Court Decision Relief: इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने पूर्व भाजपा सांसद बृजभूषण शरण सिंह को बड़ी राहत दी है। अदालत ने उनके खिलाफ 2014 में दर्ज आपराधिक मुकदमे को राज्य सरकार की अर्जी पर समाप्त कर दिया। इससे पहले निचली अदालत ने मुकदमा वापस लेने की अर्जी खारिज कर दी थी।

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लखनऊ

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Ritesh Singh

Mar 02, 2025

Court Decision Relief Brij Bhushan Sharan Singh

Court Decision Relief Brij Bhushan Sharan Singh

Court Decision Brij Bhushan Sharan Singh: इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने पूर्व भाजपा सांसद बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ दर्ज आपराधिक मामले को रद्द कर दिया है। यह फैसला राज्य सरकार की मुकदमा वापस लेने की अर्जी पर आधारित है, जिससे सिंह को बड़ी राहत मिली है।

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पूरा मामला

बृजभूषण शरण सिंह जो कैसरगंज से भाजपा सांसद रह चुके हैं, के खिलाफ 2014 में गोंडा जिले की नगर कोतवाली में भारतीय दंड संहिता की धारा 188 (लोक सेवक द्वारा विधिवत आदेश की अवज्ञा) और 341 (सदोष अवरोध) के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई थी। आरोप था कि उन्होंने सीआरपीसी की धारा 144 का उल्लंघन करते हुए लोक सेवक के आदेश की अवहेलना की और सार्वजनिक अवरोध उत्पन्न किया। पुलिस ने विवेचना के बाद निचली अदालत में आरोप पत्र दाखिल किया, जिसके आधार पर गोंडा के एसीजेएम प्रथम ने 22 जनवरी 2018 को सिंह को समन जारी किया था।

निचली अदालत का निर्णय और हाईकोर्ट की प्रतिक्रिया

सरकार ने इस मामले को वापस लेने के लिए निचली अदालत में प्रार्थना पत्र दाखिल किया था, जिसे निचली अदालत ने खारिज कर दिया था। इसके बाद, राज्य सरकार ने हाईकोर्ट में अपील की। न्यायमूर्ति राजेश सिंह चौहान की एकल पीठ ने निचली अदालत के आदेश को निरस्त करते हुए सरकार की अर्जी को स्वीकार किया और सिंह के खिलाफ आपराधिक मुकदमे को समाप्त कर दिया।

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पूर्व की कार्यवाही

इससे पहले, सिंह ने आरोप पत्र और समन आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। 20 अगस्त 2022 को हाईकोर्ट ने लोक सेवक के आदेश की अवहेलना के आरोप को निरस्त कर दिया था और निचली अदालत को निर्देश दिया था कि यदि याची अपराध स्वीकार करता है, तो उसे कारावास की सजा देने के बजाय केवल जुर्माना लगाकर कार्यवाही समाप्त की जाए।

न्यायालय का आदेश

हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि यदि बृजभूषण शरण सिंह अपराध स्वीकार करते हैं, तो उन्हें कारावास की सजा देने के बजाय जुर्माना लगाकर कार्यवाही समाप्त की जाए।