मासिक धर्म में हो छुट्टियां 73 प्रतिशत महिलाएं चाहती हैं की कंपनियां उन्हें मासिक धर्म की छुट्टियां लेने की अनुमति दें हालांकि इनमें से 71.7 प्रतिशत महिलाएं नहीं चाहती की ऐसी छुट्टियां सवैतनिक हों क्योंकि उन्हे लगता है कि इससे कंपनियां महिला कर्मचारियों को नियुक्त करने से परहेज करेंगी। विकल्प के तौर पर 86.6 प्रतिशत महिलाएं मेंसट्रुअल फ्रैंडली वर्कप्लेस के पक्ष में नज़र आईं हैं, जहां महिलाएं इस विषय पर खुल कर बात करने से हिचकिचाएं नहीं तथा महिलाओं के लिए मेंस्ट्रुअल हाइजीन पद्धतियां एवं सहयोगात्मक बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएं। 68.9 प्रतिशत महिलाओं ने बताया की माहवारी के दौरान उन्होंने ऑफिस से छुट्टी ली है, और 51.2 प्रतिशत महिलाओं दो या ज्यादा बार छुट्टी ली हैं।
मासिक धर्म पर नहीं होती खुल कर बात पैन हेल्थकेयर के सीईओ चिराग पैन कहते हैं, ’’महिलाओं की अंतरंग हाइजीन के अग्रणी ब्रांड होने के नाते मासिक धर्म संबंधी स्वच्छता के बारे में सटीक जागरूकता लाने हेतु प्रतिबद्ध है। साल 2014 से मेंस्ट्रुअल हाइजीन सर्वेक्षण भारत में नए रुझानों का खुलासा करने और मासिक धर्म संबंधी महिलाओं की चिंताओं को सामने लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती आ रही है। जरूरत इस बात की है की कॉर्पोरेट्स इसे प्राथमिकता में रखें और मेंस्ट्रुअल फ्रेंडली वर्कप्लेस सुनिश्चित करने के लिए कदम उठाएं। सर्वे 2023 में पता चलता है कि फिलहाल मात्र 5.2 प्रतिशत महिलाएं ही अपने मैनेजर से मासिक धर्म पर बात करने में सहज महसूस करती हैं, जबकि 39.9 प्रतिशत महिलाएं कार्यस्थल पर मासिक धर्म के बारे में अपनी महिला सहकर्मियों के साथ भी बात नहीं करती।
माहवारी का समय होती है बहुत दिक्कत हरिओम त्यागी कहते हैं, 2022 ऐवरटीन सर्वे की ही तरह इस साल भी हमारे सर्वेक्षण ने दर्शाया है की 50 प्रतिशत से ज्यादा महिलाएं पीरियड्स के पहले दो दिनों में ठीक से सो नहीं पाती हैं। 63.6 महिलाओं ने माहवारी के दौरान मध्यम से गंभीर मरोड़ का अनुभव किया है। माहवारी के दौरान होने वाली मरोड़ें 30 प्रतिशत महिलाओं के लिए पीरियड्स के दौरान बाहर जाने पर सबसे बड़ी चिंता है।
33 प्रतिशत महिलाओं के लिए सैनिटरी पैड बदलना सबसे बड़ी चिंता है। 82.8 प्रतिशत महिलाओं ने कहा कि माहवारी के दौरान या इससे होने वाले दर्द के चलते वे अपने काम पर ध्यान देने में संघर्ष करती हैं। हमें यह देख कर खुशी है कि 18.3 प्रतिशत महिलाएं मेंसट्रुअल क्रैम्प रोल-ऑन का इस्तेमाल कर रही हैं।
सर्वे से पता चला की सफेद डिस्चार्ज होने पर क्या करना चाहिए एक-चौथाई (25.8 प्रतिशत) महिलाओं को अब भी नहीं पता की सफेद डिस्चार्ज होने पर क्या करना चाहिए, जबकि 83.4 प्रतिशत महिलाओं ने कभी न कभी सफेद डिस्चार्ज की स्थिति सामना किया है। सिर्फ 18.9 प्रतिशत महिलाएं ही सफेद डिस्चार्ज से बचाव के लिए पैन्टी लाइनर इस्तेमाल करती हैं। 69.3 प्रतिशत महिलाओं ने बताया की अपने जीवन में उन्होंने कभी न कभी अनियमित पीरियड्स का अनुभव किया है, लेकिन फिर भी इनमें से 60 प्रतिशत महिलाओं ने कभी डॉक्टर से मशवरा नहीं लिया।
महिलाएं अभी भी जागरूक नहीं
इंटरनेशनल मेंसट्रुअल हाइजीन डे 2023 का एक हैशटैग है #PeriodFriendlyToilets जो भारत के संदर्भ में खास तौर पर प्रासंगिक है। मेंसट्रुअल हाइजीन सर्वे 2023 दर्शाता है की 80 प्रतिशत महिलाएं पब्लिक टॉयलेट में सैनिटरी पैड बदलना असहज मानती हैं। इतना ही नहीं, 62.9 प्रतिशत महिलाओं ने कहा कि उन्होंने दफ़्तर, मॉल या सिनेमा हॉल में सैनिटरी पैड कभी नहीं बदला या कभी एक-दो बार ही बदला है। 92.3 प्रतिशत महिलाएं जागृत हैं कि गंदे टॉयलेट से मूत्र मार्ग के संक्रमण होने का खतरा है।