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आय, निवास और जाति प्रमाणपत्र बनवाना हुआ अब आसान, सरकार ने किया यह बदलाव, जानें कब होगा लागू

उत्तर प्रदेश में जाति, आय और निवास प्रमाण पत्र बनवाने की प्रक्रिया अब और आसान होने जा रही है। सरकार का दावा है कि इस डैशबोर्ड के शुरू होने से नागरिकों को प्रमाणपत्र बनवाने के लिए अब पहले की तुलना में कम समय और कम चक्कर लगाने पड़ेंगे।

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सीएम योगी फाइल फोटो

सीएम योगी फाइल फोटो

लखनऊ : उत्तर प्रदेश में जाति, आय और निवास प्रमाण पत्र बनवाने की प्रक्रिया अब और आसान होने जा रही है। इसके साथ ही वरासत में नाम दर्ज कराने की प्रक्रिया भी सरल बनाई जाएगी। इसके लिए राज्य सरकार ने 'लेखपाल डैशबोर्ड’ का निर्माण किया है', जिसका शुभारंभ 'गुरुवार को राजस्व परिषद के अध्यक्ष अनिल कुमार लखनऊ की सरोजीनगर तहसील से करेंगे।'

सरकार का दावा है कि इस डैशबोर्ड के शुरू होने से नागरिकों को प्रमाणपत्र बनवाने के लिए अब पहले की तुलना में कम समय और कम चक्कर लगाने पड़ेंगे। भविष्य में 'राजस्व निरीक्षक डैशबोर्ड, तहसीलदार डैशबोर्ड और उपजिलाधिकारी डैशबोर्ड' भी शुरू किए जाएंगे, ताकि पूरे राजस्व तंत्र को डिजिटल प्लेटफॉर्म पर लाया जा सके।

प्रदेश में 22 हजार लेखपाल हैं कार्यरत

अध्यक्ष राजस्व परिषद अनिल कुमार ने बताया कि प्रदेश में नागरिकों के साथ सबसे अधिक संवाद लेखपालों का होता है। भूमि संबंधी अभिलेखों का अद्यतन, विभिन्न प्रमाणपत्रों का सत्यापन, राजस्व जांच और रिपोर्ट पेश करना जैसे कई कार्य लेखपालों की जिम्मेदारी होती है। वर्तमान में प्रदेश में 'करीब 22 हजार लेखपाल कार्यरत हैं', इसलिए उन्हें डिजिटल माध्यम से सशक्त बनाना समय की जरूरत बन गया है।

उन्होंने कहा कि 'लेखपाल डैशबोर्ड से लेखपाल केवल एकल लॉगिन के जरिए अपने सभी कार्य डिजिटल रूप से कर सकेंगे।' इसमें भूमि अभिलेखों का अद्यतन, आय-जाति-निवास प्रमाणपत्रों से संबंधित आवेदनों की स्थिति देखना, और राजस्व की 'धारा-34, 80, 89 व 98 से जुड़ी कार्यवाही' भी इसी प्लेटफॉर्म पर उपलब्ध होगी। जो सेवाएं फिलहाल ऑफलाइन हैं, उन्हें भी धीरे-धीरे ऑनलाइन करने की योजना है।

पारदर्शिता को मिलेगा बढ़ावा

इस डैशबोर्ड से 'हल्का मैपिंग, अवकाश आवेदन और अनुमोदन भी पूरी तरह ऑनलाइन' हो जाएगा। इससे उच्च अधिकारी वास्तविक समय में अपने अधीनस्थ कर्मचारियों की कार्यप्रगति और स्थिति देख सकेंगे। जिला और तहसील स्तर पर कामों की तुलना और विश्लेषण भी संभव हो सकेगा, जिससे शासन-प्रशासन में 'पारदर्शिता और जवाबदेही बढ़ेगी।'

गौरतलब है कि नौकरियों के आवेदन और सरकारी कॉलेजों में दाखिले के दौरान अक्सर अभ्यर्थियों को जाति और आय प्रमाणपत्र की जरूरत पड़ती है। आय प्रमाणपत्र हर बार नया बनवाना अनिवार्य होता है। ऐसे में यह प्रक्रिया आसान होने से प्रदेश के करोड़ों लोगों को सीधा लाभ मिल सकेगा।