एफपीओ संगठन कंपनी एक्ट के तहत रजिस्टर्ड होगा। इसके जरिये किसानों को अपनी फसल को वेयर हाउस और बाजार में उत्पाद के रूप में उतारने के लिये प्रोत्साहित किया जाता है। 10 अलग-अलग किसान मिलकर इसे बनाएंगे। उसे चलाने और आगे ले जाने में सरकार उनकी मदद करेगी। रजिस्ट्रेशन व प्रशासनिक, वित्तीय और कानूनी कामों के लिये प्रदेश स्तर पर सेक्रेटरी लेवल का पैनल होेगा।
एफपीओ को क्रियाशील बनाने व इसमें शेयर होल्डर्स की संख्या बढ़ाने के लिये परियोजना प्रबंधन इकाई होगी, जो विभिन्न विभागों से समन्वय कर वहां संचालित परियोजनाओं से कन्वर्जेंस सपोर्ट देगी। एफपीओ को बैंकिंग से लेकर दूसरी फाइनेंशियल और विधिक जरूरतों में परामर्श दिया जाएगा। रिवाल्विंग फंड की व्यवस्था में उनकी मदद की जाएगी। पांच लाख तक के लोन पर चार प्रतिशत सब्सिडी देने की भी योजना। इसके अलावा एफपीओ से जुड़ी जानकारियों के लिये एक पोर्टल भी होगा। अग्रणि किसानों की एक एफपीओ सलाहकार समिति होगी। एफपीओ के गठन के लिये राज्य स्तरीय उत्प्ररकों का पैनल बनेगा।
एफपीओ के गठन, उनके कार्यों की समीक्षा, उन्हें योजनाओं का लाभ पहुंचाने और उनके कार्यों में आने वाले कठिनाईयों को भी दूर करने के लिए राज्य, मंडल, जनपद स्तर पर परियोजना ईकाई का गठन किया गया है. राज्य स्तर पर कृषि उत्पादन आयुक्त को अध्यक्ष, मंडल स्तर पर कमिश्नर को अध्यक्ष और जिले स्तर पर डीएम को अध्यक्ष बनाया गया है।