भारत की पहली महिला सत्याग्रही सुभद्रा कुमारी का जन्म 16 अगस्त, 1904 में इलाहाबाद के पास निहालपुर में हुआ था। पिता रामनाथ सिंह जमीनदार थे। सुभद्रा कुमारी को बचपन से ही कविता लिखने का शौक था। 1921 में उन्होंने महात्मा गांधी के असहयोग आंदोलन में हिस्सा लिया था। वे पहली महिला सत्याग्रही थीं जिन्हें गिरफ्तार किया गया था। 15 फरवरी, 1948 में मात्र 43 वर्ष की उम्र एक सड़क दुर्घटना में उनकी मौत हो गई थी। सुभद्रा कुमारी तो नहीं रहीं लेकिन झांसी की रानी पर लिखी उनकी कविता हमेशा के लिए अमर हो गई।
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झांसी की रानी पर लिखी कविता सिंहासन हिल उठे राजवंशों ने भृकुटी तानी थी,बूढ़े भारत में भी आई फिर से नई जवानी थी,
गुमी हुई आजादी की कीमत सबने पहचानी थी,
दूर फिरंगी को करने की सबने मन में ठानी थी।।
चमक उठी सन सत्तावन में, वह तलवार पुरानी थी,
बुंदेले हरबेलों के मुँह हमेशा सुनी कहानी थी,
खूब लड़ी मर्दानी वह तो झांसी की रानी थी।। कानपुर के नाना की, मुँहबोली बहन छबीली थी,
लक्ष्मीबाई नाम, पिता की वह संतान अकेली थी,
नाना के संग पढ़ती थी वह, नाना के संग खेली थी,
बरछी, ढाल, कृपाण, कटारी उसकी यही सहेली थी।।
बुंदेले हरबेलों के मुँह हमेशा सुनी कहानी थी,
खूब लड़ी मर्दानी वह तो झांसी की रानी थी।। कानपुर के नाना की, मुँहबोली बहन छबीली थी,
लक्ष्मीबाई नाम, पिता की वह संतान अकेली थी,
नाना के संग पढ़ती थी वह, नाना के संग खेली थी,
बरछी, ढाल, कृपाण, कटारी उसकी यही सहेली थी।।
वीर शिवाजी की गाथाएं उसको याद जंबानी थी,
बुंदेले हरबेलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी,
खूब लड़ी मर्दानी वह तो झांसी की रानी थी।। लक्ष्मी थी या दुर्गा थी वह स्वयं वीरता की अवतार,
देख मराठे पुलकित होते उसकी तलवारों के वार,
नकली युद्ध-व्यूह की रचना और खेलना खूब शिकार,
सैन्य घेरना, दुर्ग तोड़ना ये थे उसके प्रिय खिलवाड़।।
बुंदेले हरबेलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी,
खूब लड़ी मर्दानी वह तो झांसी की रानी थी।। लक्ष्मी थी या दुर्गा थी वह स्वयं वीरता की अवतार,
देख मराठे पुलकित होते उसकी तलवारों के वार,
नकली युद्ध-व्यूह की रचना और खेलना खूब शिकार,
सैन्य घेरना, दुर्ग तोड़ना ये थे उसके प्रिय खिलवाड़।।
महाराष्ट्र- कुलदेवी उसकी भी भवानी थी,
बुंदेले हरबेलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी,
खूब लड़ी मर्दानी वह तो झांसी की रानी थी।।
बुंदेले हरबेलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी,
खूब लड़ी मर्दानी वह तो झांसी की रानी थी।।