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चुनाव आयोग से की मांग, 2012 विधानसभा चुनाव की तरह इस बार भी BSP के सिम्बल को ढकने की मांग

इस बारे में प्रताप चंद्रा ने कहा कि संविधान द्वारा सभी नागरिकों को समानता का अधिकार दिया गया है। लोकतंत्र का पहला पायदान चुनाव है।

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Rohit Singh

Jan 09, 2017

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लखनऊ।
साल 2012 के विधानसभा चुनाव में आचार संहिता के दौरान चुनाव
आयोग की ओर से बहुजन समाज पार्टी के चुनाव चिन्ह हाथी को सभी पार्कों में
ढकने के आदेश दिए गए थे। लेकिन इस बार चुनाव आयोग की ओर से ऐसा कोई आदेश
नहीं दिया गया है। इस सम्बन्ध में लोकतंत्र मुक्ति आंदोलन के संयोजक प्रताप
चंद्रा ने बसपा के चुनाव चिन्ह हाथी को पार्कों में ढकने की मांग की है।


इस
बारे में प्रताप चंद्रा ने कहा कि संविधान द्वारा सभी नागरिकों को समानता
का अधिकार दिया गया है। लोकतंत्र का पहला पायदान चुनाव है। जिसे फ्री एंड
फेअर और अवसर की समता
के सिद्धांत पर चुनाव कराना चुनाव आयोग का दायित्व है। जिसे निष्पक्ष रूप
से कराने की अपेक्षा है।


इसलिए उनकी ओर से चुनाव आयोग में लिखित आपत्ति दायर करके कहा गया है कि अवसर की समता और
फ्री एंड फेयर चुनाव के सिद्धांत पर चुनाव आचार संहिता लागू होने के 5 दिन
बाद भी उत्तर प्रदेश के तमाम पार्कों में बहुजन समाज पार्टी के चुनाव-चिन्ह
हाथी की मूर्तियाँ लगी हैं। जो पब्लिक प्लेस है, जिससे निरंतर पार्टी के
चुनाव-चिन्ह हाथी का प्रचार होता रहता है। लिहाज़ा हाथी की मूर्तियों को
तत्काल ढका जाये। इस विषय पर आयोग ने दिल्ली हाई कोर्ट की टिप्पणी और पार्टियों के सुझाव पर 7 अक्टूबर 2016 को लाफुल डायरेक्शन
No.56/4 LET/ECI/FUNC/PP/PPS-II/2015 बनाया था।


प्रताप चंद्रा
ने कहा कि 2012 में हुए
विधानसभा चुनाव में भी चुनाव आयोग द्वारा उत्तर प्रदेश के तमाम पार्कों में
बहुजन समाज पार्टी के चुनाव-चिन्ह हाथी के स्टेचू को ढकवाया गया था लेकिन
2014 में हुए लोकसभा चुनाव में इन हाथी के मूर्तियों को नहीं ढकवाया गया
था। जिस पर आयोग से न ढकवानें का कारण पूछने पर आयोग ने बताया था कि किसी
ने
आपत्ति नहीं की थी। इसलिए लोकसभा चुनाव में हाथियों को नहीं ढकवाया गया था।

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