
चारबाग, हजरतगंज, पुराने लखनऊ जैसे इलाकों में सुरक्षा घेरा और भी कड़ा किया गया।

स्थानीय निवासियों ने प्रशासन का भरपूर सहयोग किया, जिससे मॉकड्रिल सुचारू रूप से सफल हो सकी।

स्कूल, कॉलेज, मॉल्स और प्रमुख प्रतिष्ठानों में भी मॉक सुरक्षा अभ्यास किया गया।

NDRF, पुलिस, PAC, दमकल विभाग और स्वास्थ्य टीमों ने सटीक समय पर अपना प्रदर्शन किया।

ड्रोन, CCTV, वायरलेस कम्युनिकेशन और ग्राउंड फोर्स के साथ हाईटेक निगरानी की गई।

जनता को सोशल मीडिया, समाचार चैनलों और माइक अनाउंसमेंट के जरिए जागरूक किया गया।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ खुद लखनऊ पुलिस लाइन पहुंचे और मॉक ड्रिल की तैयारियों का निरीक्षण किया।

इस आयोजन को लेकर देशभर में लखनऊ मॉडल की सराहना की जा रही है।

मॉकड्रिल ने यह स्पष्ट कर दिया है कि जब प्रशासन और नागरिक एकजुट हों, तो कोई चुनौती बड़ी नहीं होती।

मॉक ड्रिल के दौरान शहर के कई हिस्सों में बिजली बंद की गई और आवाजाही नियंत्रित रही।

पुलिस और प्रशासन की मुस्तैदी ने साबित कर दिया कि लखनऊ आपात स्थिति से निपटने में सक्षम है।

मुख्य उद्देश्य था—जनता को संभावित हवाई या आतंकी हमलों जैसी आपातकालीन स्थितियों के लिए तैयार करना।

लखनऊ में गुरुवार को एक ऐतिहासिक मॉक ड्रिल आयोजित की गई, जिसने पूरे शहर को अलर्ट मोड पर ला दिया।

यह मॉकड्रिल उत्तर प्रदेश के 19 जिलों में एक साथ आयोजित की गई, लेकिन लखनऊ इस अभ्यास का केंद्र रहा।