हाथरस में पीड़िता का गांव एक तरह से दो खेमे में बंट गया है। एक तरफ दलित हैं तो दूसरी तरफ सवर्ण और तथाकथित उंची जातियों के लोग। दलितों का कहना है कि बेटी के साथ बलात्कार हुआ है जबकि सवर्णों का कहना है कि इस मामले में बेकसूर युवाओं को फंसाया जा रहा है। इस संबंध में रविवार को बीजेपी नेता राजवीर सिंह पहलवान के घर एक बैठक हुई। हालांकि उनका कहना है कि यह स्वागत समारोह था। सीबीआई जांच का स्वागत करने के लिए यहां लोग आए थे। किसी को बुलाया नहीं गया था। आरोपी लवकुश की मां भी आई थीं। हालांकि सुबह एसओ और पुलिस ने लोगों को समझाने की कोशिश भी की, लेकिन मीटिंग आयोजित की गई।
पहले भी हुई बैठक बैठक के आयोजकों का कहना है कि हमने बैठक के बारे में पुलिस को सूचित कर दिया था। उनका कहना है कि इस केस में महिला (पीड़िता) के परिवार के खिलाफ भी एफआइआर दर्ज की जानी चाहिए। क्योंकि अब तक केवल आरोपियों को ही निशाना बनाया गया है। इससे पहले शुक्रवार को भी सवर्ण समाज के लोगों ने महिला के गांव के पास एक बैठक की थी। जिसमें मांग की गयी थी कि मामले की जांच सीबीआई करे और जो निर्दोष लोग हैं उन्हें छोड़ा जाए। क्योंकि इसमें आरोपियों को निशाना बनाया गया है। पंचायत में योगी सरकार की अब तक की कार्रवाई को सही ठहराया गया। पंचायत ने विपक्षी दलों पर पीड़िता का बयान बदलवाने का आरोप लगाया। मीडिया की भूमिका पर भी सवाल उठाया गया। कहा गया कि सियासी दल हाथरस पीड़ितों से संवेदना देने नहीं बल्कि अपनी सियासत चमकाने आ रहे हैं। इस संबंध में भारतीय जनता पार्टी के पूर्व विधायक राजवीर सिंह का भी बयान आया है उन्होंने कहा है कि हाथरस में पीड़िता का बलात्कार नहीं हुआ है, मीडिया गलत खबर फैला रहा है।