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एलयू दीक्षांत समारोह: टॉपर्स की कामयाबी की कहानी पढ़कर आप भी गर्व महसूस करेंगे

एलयू के 59वें दीक्षांत समारोह में 187 मेडल बांटे गए जिनमें कई छात्र ऐसे थे इन्हें एक से ज्यादा कैटेगरी में यह मेडल मिले।

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Rohit Singh

Jan 14, 2017

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प्रशांत श्रीवास्तव, लखनऊ.
कहते हैं कि मजबूत इरादे वालों को उनकी
मंजिल मिल ही जाती है। लखनऊ यूनिवर्सिटी के दीक्षांत समारोह में मेडल पाने
वालों के चेहरे की खुशी भी यहीं बयां कर रही थी। एलयू के 59वें दीक्षांत
समारोह में 187 मेडल बांटे गए जिनमें कई छात्र ऐसे थे इन्हें एक से ज्यादा
कैटेगरी में यह मेडल मिले। इस कार्यक्रम में इलाहाबाद हाईकोर्ट के मुख्य
न्यायधीश जस्टिस दिलीप बाबा साहेब भोसले मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए।
वहीं गर्वनर राम नाईक भी इस दौरान मौजूद रहे।


इस दौरान डॉ.
चक्रवर्ती गोल्ड मेडल दीप्ती नारायण, चांसलर गोल्ड मेडल रश्मि सिंह, चांसलर
सिल्वर मेडल कोमल, चांसलर सिल्वर मेडल गुरुकीरत कौर को भी मिला। वहीं
एमएससी की छात्रा रुपाली श्रीवास्तव को सबसे अधिक 12 मेडल मिले तो वहीं
एमए(एनशियंट हिस्ट्री) की छात्रा कोमल को दस मेडल मिले। इसके अलावा
एमएसडब्लू की छात्रा दीप्ति नारायण को पांच मेडल प्राप्त हुए।




पिता की मृत्यु के बाद भी नहीं मानी हार


राजाजीपुरम
की कोमल के हौंसले को हर कोई सलाम कर रहा था। एमए (एनशियंट हिस्ट्री) की
स्टूडेंट कोमल को अलग-अलग कैटेगरी में दस मेडल मिले। कोमल के मुताबिक जब वह
ग्रेजुएशन फाइनल ईयर में थीं तो उनके पिता का देहांत हो गया था। उनके पिता
बिजनेसमेन थे, तो वहीं मां हाउसवाइफ हैं। घर में कोई भी कमाने वाले नहीं
था, कठिन हालातों के बावजूद उन्होंने हार नहीं मानी और लगातार मेहनत करती
गईं और आखिरकार सफलता प्राप्त की।




गोल्ड मेडेलिस्ट भी , आईपीएस भी


मुज्जफरनगर
की रचना सिंह को पीएचडी (हिंदी लिट्रेचर) में गोपाल दास मेमोरियल गोल्ड
मेडल दिया गया। रचना का सिलेक्शन भारतीय पुलिस सेवा में हो गया है, वह
पुड्डचेरी में कार्यत हैं। उनके पति विनीत सिंह राजधानी लखनऊ में बिजनेसमेन
हैं। रचना ने बताया कि पीएचडी के दौरान उनके पिता की मृत्यु हो गई थी। इस
दौरान वह कठिन दौर से गुजरीं लेकिन मजबूत इरादों वाली रचना ने कभी हार नहीं
मानीं। वह किरण बेदी को अपना आइडल मानती हैं। फिलहाल किरण बेदी पुड्डचेरी
की उप राज्यपाल भी हैं।




गांव लौटकर खोलेंगी स्कूल


फिल्म
स्वदेश में एनआरआई बने शाहरुख खान की कहानी तो देखी होगी आपने। कुछ इसी
तरह का ख्वाब पांच मेडल पाने वाली दीप्ति नारायण का भी है।
एमएसडब्लू(मास्टर्स इन सोशल वर्क) छात्रा दीप्ती नारायण अपने गांव लौटकर
छात्रों के लिए स्कूल खोलना चाहती हैं। वह गोरखरपुर के गहिरा गांव की रहने
वाली हैं। उनके मुताबिक कई छात्र सोशल वर्क की पढ़ाई करने के बाद किसी
एनजीओ में नौकरी करने लग जाते हैं लेकिन उनका ख्वाब जमीनी स्तर पर कुछ
बदलाव लाना है, इसलिए वह अपने गांव लौटकर गरीब बच्चों के लिए स्कूल खोलना
चाहती हैं। ताकि वह छात्र अच्छी शिक्षा पा सकें और दूसरों को भी प्रेरणा दे
सकें।




प्रोफेसर बनने की चाह


सबसे
ज्यादा मेडल पाने वाली एमएससी मैथ्स की स्टूडेंट रुपाली श्रीवास्तव का
लक्ष्य प्रोफेसर बनने का है। रुपाली ने 12 मेडल जीते जिसमें 11 गोल्ड शामिल
हैं। उन्होंने सीबीएसई बोर्ड से बारहवीं तक की पढ़ाई की है। बारहवीं में
भी उन्होंने अपने जिले(कौशांबी) में 98% अंक अर्जित कर टॉप किया था। इसके
अलावा एलयू में बीएससी में वह टॉपर रही थीं। रुपाली के पिता राम सनेही
श्रीवास्तव अरुणाचल प्रदेश में कैमिस्ट्री के प्रोफेसर हैं।


वोट देने के लिए किया जागरुक


इस दौरान गवर्नर राम नाईक ने छात्रों से लोगों को आगामी विधानसभा में वोट करने के जागरुक करने को कहा। अपने भाषण के दौरान वह बोले-

- मेरा यह लगातार तीसरा साल है दीक्षांत का। मैंने भी एलएलबी किया है ,

- अभी महिला सशक्तिकरण की ओर देश जा रहा है।

-187 में 147 मेडल लड़कियों ने जीते तो वहीं 40 मेडल ही लड़के जीत पाए।

- देश के बड़े बड़े लोग यहां से पढ़कर निकले हैं।

- अब छात्रों को लोगों को वोट डालने के प्रति ज्यादा से ज्यादा जागरुक करना चाहिए।