
यमुना एक्सप्रेसवे पर हर आठ घंटे में हो रही एक की मौत, सामने आये चौंकाने वाले आंकड़े
लखनऊ. अगर आप यमुना एक्सप्रेस-वे (Yamuna Expressway) पर सफर करने जा रहे हैं तो बेहद सावधान रहें। इस राजमार्ग पर सड़क हादसे में हर आठ घंटे में एक जान जा रही है। एक आरटीआई (Right to Information) के तहत मिली जानकारी के मुताबिक, यमुना एक्सप्रेस वे पर अगस्त 2012 से 31 जनवरी 2018 तक लगभग पांच हजार से सड़क हादसे हो चुके हैं, जिनमें 8,191 लोग काल के गाल में समा चुके हैं। सोमवार को यमुना एक्सप्रेस वे पर हुए हादसे में 29 लोगों की मौत हो गई और करीब इतने ही लोग घायल हो गये थे, जिनका इलाज चल रहा है। आंकड़े बताते हैं कि उत्तर प्रदेश की शान समझा जाने वाला यमुना एक्सप्रेस अब खूनी राजमार्ग में तब्दील हो चुका है। यहां सड़क हादसे में हर दिन तीन और और हर आठ घंटे एक में एक की मौत हो रही है।
उद्घाटन से लेकर अब तक यमुना एक्सप्रेस वे पर कितने सड़क हादसे हुए हैं? यह जानकारी गैर सरकारी संगठन सेव लाइफ फाउंडेशन ने आरटीआई के तहत भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) से मांगी थी। सूचना के अधिकार से मिली जानकारी के मुताबिक, राजमार्ग के चालू होने के समय से जनवरी 2018 तक यमुना एक्सप्रेसवे पर 5,000 दुर्घटनाएं हो चुकी हैं, जिनमें 703 भीषण थीं, जिनमें 2,000 लोग गंभीर रूप से घायल हुए थे।
कब-कब हुए हादसे
यमुना एक्सप्रेसवे पर नौ अगस्त 2012 में से लेकर साल के अंत तक कुल 275 दुर्घटनाएं घटीं, जिसमें 424 लोगों की जान चली गई थी। वर्ष 2013 में हुए 896 सड़क हादसों में 1463, वर्ष 2014 में हुए सड़क हादसों में 1462, वर्ष 2015 में हुए 919 सड़क हादसों में 1535, वर्ष 2016 में 1219 दुर्घटनाएं हुईं, जिनमें 1657 लोगों की जान चली गई। इस तरह वर्ष 2017 में हुए 763 सड़क हादसों में 1572 और वर्ष 2018 में हुए सड़क हादसों में 78 लोगों की जान चली गई। 8 जुलाई 2019 को यमुना एक्सप्रेसवे पर हुए हादसे में 29 लोगों की जान चली गई।
पहली बार किसी राजमार्ग पर उतरा लड़ाकू विमान
यमुना एक्सप्रेसवे छह लेन का राजमार्ग है, जो ग्रेटर नोएडा को आगरा से जोड़ता है। 128.39 अरब की लागत से 165 किलोमीटर लंबा राजमार्ग बनकर तैयार हुआ था। अगस्त 2012 में इस राजमार्ग का उद्घाटन उत्तर प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने किया था। 21 मई 2015 को इस राजमार्ग पर फ्रांस निर्मित दॉसो मिराज-2000 लड़ाकू विमान उतारा था, जो किसी राजमार्ग पर किसी लड़ाकू विमान के उतारे जाने की पहली घटना थी।
Updated on:
09 Jul 2019 03:18 pm
Published on:
09 Jul 2019 03:14 pm
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