
दारुल कजा में 95 प्रतिशत केस महिलाओं के होते हैं हल
लखनऊ. दारुल कजा में सबसे ज्यादा मसलें महिलाओं के हल किए जाते हैं। ये कहना है मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली का। उन्होंने ये बातें ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की दारुल कजा कमिटी की निगरानी में हुई कार्यक्रम में कही।
कार्यक्रम में मौजूद डॉ. सईदुर्रहमान आजमी ने कहा कि निजाम कजा का मकसद मुसलमनों में आपसी मतभेद को हल करना और लड़ाई को दूर करना है। इसलिए निजाम कजा कायम करना मुसलमानों पर अनिवार्य है। मोहम्मद काजी तबरेज ने बताया कि ज्यादातर केसेस मुंबई से आते हैं और ये सभी पारिवारिक होते हैं। एक साल में 300 केसेस की सुनवाई होती है। देश में कुल 68 दारुल कजा हैं और एक हर दारुल कजा में 60-70 केसेस एक साल के भीतर सॉल्व होते हैं। वहीं उप्र में 19 दारुल कजा है, जिसमें एक साल के भीतर लगभग 50 केसेस प्रॉपर्टी, दहेज और अन्य पारिवारिक मसलों से जु़ड़ें होते हैं।
95 प्रतिशत केस महिलाओं के
काजी तबरेज ने बताया कि दारुल कजा में महिलाएं 10 मुद्दों पर दारुल कजा से संपर्क कर सकते हैं जबकि पुरुष तीन मुद्दों पर। लगभग 95 प्रतिशत मसले महिलाओं के दारुल कजा में हल होते हैं।
Published on:
27 Feb 2019 02:42 pm
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