
1992 में समाजवादी पार्टी का गठन हुआ। इसके बाद 1996 में मुलायम सिंह यादव इस सीट से चुनाव लड़े। उन्होंने भारी अंतर से जीत हासिल की। उसके बाद से लगातार हर चुनाव में इस सीट पर समाजवादी पार्टी का ही कब्जा रहा है। 2014 में मोदी लहर थी, तब भी मुलायम सिंह के दांव के आगे मोदी का जादू नहीं चला।
मुलायम दो संसदीय सीटों आजमगढ़ और मैनपुरी से चुनाव लड़े थे। उन्हें दोनों ही सीटों पर जीत हासिल हुई थी। मैनपुरी सीट उन्होंने छोड़ दी थी। फिर इस सीट पर तेज प्रताप यादव उपचुनाव जीते थे।
बसपा मैदान में होने के बाद भी सपा को 4 लाख से अधिक वोट मिले
2004 के चुनाव में मुलायम सिंह ने रेकॉर्ड जीत दर्ज की थी। उन्हें 4,60,470 वोट मिले थे। दूसरे नंबर पर BSP प्रत्याशी अशोक शाक्य को मात्र 1,22,600 वोट मिले थे। इस सीट पर उपचुनाव हुए जिसमें एसपी के धर्मेंद्र यादव को 3,48,999 वोट मिले। BSP प्रत्याशी अशोक शाक्य को 1,69,286 वोट मिले थे।
साल 2009 में मुलायम सिंह यादव को 3,92,308 वोट मिले थे। बसपा प्रत्याशी विनय शाक्य 2,19, 239 वोट पाकर दूसरे स्थान पर थे। भाजपा प्रत्याशी तृप्ति शाक्य को 56265 वोट मिले थे।
2014 में मुलायम सिंह को मिले थे 6 लाख के करीब वोट
साल 2014 के लोकसभा में मुलायम सिंह यादव को 5,95,918 वोट मिले थे। दूसरे नंबर पर BJP के प्रत्याशी शत्रुघन सिंह चौहान को मात्र 2,31,252 वोट मिले थे। दोनों के बीच 3,64,666 वोटों का अंतर था। मुलायम के सीट छोड़ने के बाद उपचुनाव में एसपी के प्रत्याशी तेज प्रताप सिंह यादव ने बीजेपी के प्रेम सिंह शाक्य को हराया।
सपा के तेज प्रताप को मिले थे साढ़े 6 लाख वोट
तेज प्रताप को जहां 6,53,786 वोट मिले वहीं प्रेम सिंह को 3,32,537 वोट मिले। दोनों के बीच 3,21,249 वोटों का अंतर रहा।
2019 में मुलायम सिंह भारी मतों से जीत दर्ज की थी
मैनपुरी लोकसभा सीट पर इस बार सपा-बसपा और रालोद गठबंधन ने अपने सबसे मजबूत पहलवान मुलायम सिंह यादव को मैदान में उतारा था। मैनपुरी लोकसभा सीट पर आमने- सामने के मुकाबले में सपा के संरक्षक मुलायम सिंह यादव ने लगातार पांचवी बार जीत हासिल की था। उन्हें 524926 वोट मिले। भाजपा प्रत्याशी प्रेम सिंह शाक्य ने बीते चुनावों के मुकाबले अधिक वोट 430537 हासिल कर दम दिखाने की कोशिश की, लेकिन किसी भी चरण में मुलायम सिंह को पीछे नहीं छोड़ पाए।
मैनपुरी सीट में वोटों का गणित
मैनपुरी में 17 लाख से अधिक वोटर्स हैं। सपा के इस गढ़ में यादव वोटरों की संख्या करीब 4.25 लाख है। शाक्य वोटर्स की संख्या करीब 3.25 लाख है। यादव और शाक्य वोटर्स के बाद मैनपुरी में तीसरे नंबर पर ब्राह्मण वोटर्स हैं। इस लोकसभा सीट पर ब्राह्मण वोटर्स की संख्या करीब 1.10 लाख है। इसके अलावा दलित वोटर्स की संख्या 1.20 लाख और लोधी वोटर्स की संख्या एक लाख के आसपास है। इन सबके बाद मैनपुरी सीट पर मुस्लिम वोटर्स का नंबर आता है। यहां मुस्लिम वोटर्स की संख्या करीब 55 हजार है।
1996 से जीतती आई है सपा
मैनपुरी सीट पर 1952 से लेकर 1971 कांग्रेस को जीत हासिल हुई। 1977 की सत्ता विरोधी लहर में जनता पार्टी ने कांग्रेस के प्रत्याशी को हरा दिया। 1978 में यहां उपचुनाव हुए जिसमें कांग्रेस की इस सीट पर वापसी हुई। 1980 में कांग्रेस ने मैनपुरी लोकसभा सीट एक बार फिर गवां दी। साल 1984 में उनके प्रत्याशी को एक बार फिर जीत मिली। यह वह साल था जब कांग्रेस को इस सीट पर आखिरी बार जीत मिली थी।
1992 में समाजवादी पार्टी का गठन करने के बाद मुलायम सिंह यादव इस सीट से 1996 में चुनाव लड़े और उन्होंने भारी अंतर से जीत हासिल की। उसके बाद से लगातार हर चुनाव में इस सीट पर समाजवादी पार्टी का ही कब्जा रहा है।
पांच विधानसभा सीटें
मैनपुरी संसदीय सीट में पांच विधानसभाएं आती हैं। जिनमें मैनपुरी, भोगांव, किशनी, करहल और जसवंतनगर शामिल हैं।
कब किसे इस सीट पर मिली जीत
1952: बादशाह गुप्ता (आईएनसी)
1957: बंशी दास डांगर (प्रजा सोशलिस्ट पार्टी)
1962: बादशाह गुप्ता (आईएनसी)
1967: महाराज सिंह (आईएनसी)
1971: महाराज सिंह (आईएनसी)
1977: रघुनाथ सिंह वर्मा (भारती लोक दल)
1980: रघुनाथ सिंह वर्मा (जनता पार्टी सेक्युलर)
1984: चौधरी बलराम सिंह यादव (आईएनसी)
1989: उदय प्रताप सिंह (जनता दल)
1991: उदय प्रताप सिंह (जनता पार्टी)
1996: मुलायम सिंह यादव (समाजवादी पार्टी)
1998: चौधरी बलराम सिंह यादव (समाजवादी पार्टी)
1999: चौधरी बलराम सिंह यादव (समाजवादी पार्टी)
2004: मुलायम सिंह यादव (समाजवादी पार्टी)
2004: धर्मेंद्र सिंह यादव (समाजवादी पार्टी)
2009: मुलायम सिंह यादव (समाजवादी पार्टी)
2014: मुलायम सिंह यादव (समाजवादी पार्टी)
2014: तेज प्रताप सिंह यादव (उपचुनाव) (समाजवादी पार्टी)
2019 मुलाया सिंह यादव
Updated on:
04 Dec 2022 04:08 pm
Published on:
04 Dec 2022 08:55 am
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