9 दिसंबर 2025,

मंगलवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

राज्यसभा में नरेश ने न्यायपालिका पर ही उठा दिया सवाल

उन्होंने कहा कि इस कानून में ये साफ होना चाहिए कि इसमें कौन सा कोर्ट फैसला सुनाएगा। क्योंकि आज कल निचली अदालतों में जिलों में पहली बार पोस्टिंग पाने वाले भी जिस तरह अपने अधिकारों का इस्तेमाल कर रहे हैं उस पर भी ध्यान देने की जरूरत है।

2 min read
Google source verification

image

Raghvendra Pratap

May 12, 2016

Naresh Agarwal

Naresh Agarwal

लखनऊ.
दिवाला और दिवालियापन संहिता 2015 विधेयक बुधवार को राज्यसभा में पारित कर दिया गया। इससे पूर्व इस पर टिप्पणी करते हुए समाजवादी पार्टी से राज्यसभा सांसद नरेश अग्रवाल ने कहा कि ये कानून इसलिए बनाया गया है ताकि बैंकों का फंसा हुआ पैसा निकल सके। उन्होंने कहा कि इसमें ये भी देखने की जरूरत है कि कहीं इसका दुरूपयोग न हो। इस कानून में ये साफ होना चाहिए कि इसमें कौन सा कोर्ट फैसला सुनाएगा। क्योंकि आज कल निचली अदालतों में जिलों में पहली बार पोस्टिंग पाने वाले भी जिस तरह अपने अधिकारों का इस्तेमाल कर रहे हैं उस पर भी ध्यान देने की जरूरत है। बता दें कि नरेश अग्रवाल यूपी के हरदोई जिले के रहने वाले हैं। बता दें कि इस समय सहारा ग्रुप के प्रमुख सुब्रत राय सहारा और किंगफिशर कंपनी के विजय माल्या निवेशकों और बैंकों का पैसा न चुकाने के कारण फंसे हुए हैं। ऐसे लोगों पर लगाम लगाने के लिए केन्द्र सरकार ने ये नया कानून बनाया है।

जो पैसा देना चाहते हैं उन्हें मिले मौका
उन्होंने कहा कि नाॅन प्राॅफिट एसैट (एनपीए ) का कानून पैसा निकालने के लिए बनाया गया है, लेकिन इसका इस्तेमाल दूसरे तरीके से किया गया। अगर कोई एनपीए हो गया तो उसे दुबारा मौका मिलना चाहिए। यदि कोई कंपनी पैसा देना चाहती है तो उसे मौका मिलना चाहिए। उन्होंने कहा कि कहीं ऐसा न हो की पैसा न चुकाने के चक्कर में सभी इंडस्ट्रीज बंद हो जाएं। हर मामले में ऐसा नहीं होता कि व्यक्ति पैसा नहीं देना चाहता। मार्केट में मंदी होने के कारण भी उद्योग-धंधे घाटे में चल रहे हैं।

सरकार का काम दाल और तेल बेचना नहीं
उन्होंने कहा कि पीएसयू जो घाटे में चले गए हैं क्या ये एक्ट उसपर भी लागू होगा, जैसे की एयर इंडिया जो बहुत घाटे में चल रहा है। प्राइवेट सेक्टर पर तो बैंक कार्रवाई करता है लेकिन पीएसयू पर नहीं होती। उन्होंने कहा कि सरकार का काम व्यापार करना नहीं है। जब से काॅरपोरेशन बने सरकार दाल, आटा, तेल सभी कुछ बेचने लगी। ये काम सरकार का नहीं है। उन्होंने कहा कि वसूली में देय किसका होगा। इसमें पहला मौका छोटे लोगों को मिलना चाहिए जिनका पैसा फंसा हैं। उसके बाद बैंक को मिलना चाहिए। ऐसा न हो कि बैंक अपना पैसा लेकर किनारे हट जाए और अन्य लोगों का पैसा फंस जाए।

ये भी पढ़ें

image