
यूपी के प्रमुख शहर NCR यानी नेशनल कैपिटल रिजन में गाजियाबाद और नोएडा दुनिया में सबसे ज्यादा प्रदूषित शहर हैं। पाकिस्तान का लाहौर शहर में AQI 438 से दूसरे स्थान पर है। फिर मंगोलिया के उलनबटार, बांग्लादेश का ढाका और नेपाल का काठमांडू आता है। यूपी NCR में सबसे ज्यादा पॉल्यूशन गाजियाबाद का है। यहां AQI 366 है। ग्रेटर नोएडा का AQI 349, नोएडा में 321 तक पहुंच गया है।
पश्चिमी उत्तर प्रदेश के सभी जिलों के एयर क्वालिटी इंडेक्स सबसे जहरीली
www.iqair.com वेबसाइट पूरी दुनिया के अलग-अलग प्रमुख शहरों की एयर क्वालिटी का डेटा एकत्रित करती है। इस वेबसाइट के अनुसार, दुनिया में सबसे प्रदूषित दिल्ली है। पश्चिमी उत्तर प्रदेश के सभी जिलों के एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) के बराबर किसी देश का AQI नहीं है। बाकी देशों में सबसे ज्यादा AQI पाकिस्तान के लाहौर का है। वहीं पूरी दुनिया में सबसे स्वच्छ हवा जापान में नागोया और इटली में मिलानो शहर की है। जहां का AQI शून्य है।
स्कूल बंद, कंपनियों में वक्र फ्रॉम होम लागू
NCR में गाजियाबाद, नोएडा और ग्रेटर नोएडा की हवा अब 'गंभीर' श्रेणी में पहुंच गई है। ग्रैप यानी ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान का चौथा फेज लागू हो चुका है। ऐसे में नोएडा में 1 से 8वीं तक के स्कूल बंद हो चुके हैं। ऑनलाइन क्लासेजज चल रही हैं। कुछ जगह 12वीं तक के स्कूल भी बंद हो गए हैं।
बिना PNG वाली फैक्ट्रियों को फिलहाल बंद कराया गया है। कुछ प्राइवेट कंपनियों में कर्मचारियों को रोस्टर से वर्क फ्रॉम होम कराने के लिए कहा है।
लखनऊ AQI का स्तर 400 को पार
लखनऊ का भी वायु प्रदूषण अत्यंत खराब के नजदीक पहुंच गया है। तालकटोरा क्षेत्र की हवा जहरीली हो चुकी है। यहां पर AQI का स्तर 400 को पार कर चुका है। लालबाग, हजरतगंज समेत अन्य इलाकों में भी AQI अत्यंत खराब स्तर पर पहुंच गया है। राजधानी में हवा की हालत खराब होने पर प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने सख्त रुख अपनाने फैसला किया है।
बीते 24 घंटे में लखनऊ में चलने वाली हवाओं में प्रदूषण का स्तर इतना खराब था कि आंखों में चुभन भी हो रही है। दूसरी तरफ ठंड के बढ़ने की भी दस्तक शुरू हो गई है। बीते 2 सप्ताह में लखनऊ समेत प्रदेश का पारा करीब 10 डिग्री सेल्सियस नीचे गिरा है।
शहर: AQI
गाजियाबाद: 366
मुजफ्फरनगर: 361
ग्रेटर नोएडा: 349
नोएडा: 321
लखनऊ: 400+
जहरीली हवा का कैसा होता है असर
प्रदूषण का 'खतरनाक' स्तर हार्ट अटैक का कारण बन सकता है। एम्स दिल्ली के रुमेटोलॉजी विभागाध्यक्ष की डॉक्टर उमा कुमार बताती हैं।
एक्यूआइ के 400 से ज्यादा
वायु प्रदूषण के 'खतरनाक' कैटेगरी में पहुंचने से हार्ट अटैक का खतरा बढ़ जाता है। पीएम 2.5 और पीएम 10 प्रदूषित कण वायरस व बैक्टीरिया का कैरियर बन जाते हैं। हर तरह का संक्रमण बढ़ता है।
एक्यूआई 300-400
यह 'बेहद खराब' स्तर मस्तिष्क पर असर डालता है। भूलने की बीमारी बढ़ जाती है। स्वस्थ लोग भी चिड़चिड़ा हो जाते हैं।
एक्यूआइ के 200-300
प्रदूषण के इस स्तर पर गले में खराश शुरू हो जाती है। आंखों में जलन भी महसूस होती है। यह प्रदूषण का खराब स्तर होता है।
एक्यूआइ 100-200
प्रदूषण के इस स्तर का बुजुर्ग, बच्चे और सांस की बीमारी से पीड़ित लोगों पर बुरा असर होता है।
एक्यूआइ 50-100
यह संतोषजनक स्थिति होती है। बेहद गंभीर बीमारियों की आशंका कम होती है।
एक्यूआइ 0-50 होने पर
यह 'अच्छी' स्थिति होती है। प्रदूषण का यह स्तर स्वास्थ्य के लिए अच्छा माना जाता है।
Published on:
05 Nov 2022 01:58 pm
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