
राजधानी में उपलब्ध नहीं है यह जीवन रक्षक इंजेक्शन, स्वास्थ्य विभाग को नहीं है मरीजों की चिंता
लखनऊ. राजधानी लखनऊ सहित आसपास के जिलों में गंभीर हृदय रोगियों की जान पर इस समय ख़तरा मंडरा रहा है। दरअसल गंभीर हृदय रोगियों को दी जाने वाली पेनीड्यूर एलए 12 इंजेक्शन मार्केट से गायब है, जिससे मरीजों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। स्वास्थ्य विभाग से शिकायत किये जाने के बाद भी दवाओं को उपलब्ध कराने की व्यवस्था नहीं की जा सकी है।
हर 21 दिन पर लगता है इंजेक्शन
आलमबाग के रहने वाले निर्मल श्रीवास्तव की पत्नी प्रतिमा श्रीवास्तव का इलाज लखनऊ के एसजीपीजीआई के कार्डियोलॉजी विभाग में चल रहा है। प्रतिमा श्रीवास्तव हृदय की गंभीर बीमारी से पीड़ित हैं और उन्हें पेनीड्यूर एलए 12 नाम का जीवनरक्षक इंजेक्शन हर 21 दिन में देना पड़ता है लेकिन अब दवा दुकानों पर ये इंजेक्शन उपलब्ध ही नहीं है। निर्मल श्रीवास्तव ने बताया कि उन्होंने तमाम दवा की दुकानों पर इंजेक्शन के बारे में पता लगाया लेकिन इंजेक्शन नहीं मिल रहा है।
सीएमओ से की गई शिकायत
निर्मल श्रीवास्तव ने बताया कि इस समस्या को लेकर उन्होंने लखनऊ के मुख्य चिकित्सा अधिकारी को पत्र लिखा। जवाब में सीएमओ ने अमीनाबाद स्थित एक मेडिकल एजेंसी पर इंजेक्शन मिलने की बात कही लेकिन वहां पहुंचने पर दवा नहीं मिली। पत्रिका ने भी स्वास्थ्य विभाग और मरीज के परिजन के दावों को पड़ताल की। अमीनाबाद में स्वास्थ्य विभाग द्वारा बताये गए मेडिकल एजेंसी स्टोर पर यह इंजेक्शन उपलब्ध नहीं हो सकी। इंजेक्शन कब तक उपलब्ध हो सकेगी, यह भी एजेंसी संचालक स्पष्ट रूप से एजेंसी संचालक ने नहीं बताया। मार्केट में कई अन्य एजेंसियों और स्टोर्स पर भी कोशिश की गई लेकिन इंजेक्शन उपलब्ध नहीं हुआ।
मार्जिन कम होने से कर रहे टालमटोल
जानकारों ने इस पूरे मामले का कारण बताया कि जबसे केंद्र सरकार की ओर से जीवनरक्षक दवाओं के दाम कम किये गए हैं, तब से दवा दुकानदारों ने ये दवाई रखनी बंद कर दी है क्योंकि इस पर मार्जिन बहुत कम मिलता है। इन सबके बीच बड़ा सवाल यह है कि वे मरीज कहाँ जाएँ, जिनको इस इंजेक्शन की सख्त जरूरत है। ये इंजेक्शन न मिलने पर मरीज की जान पर ख़तरा बन आता है। दरअसल पेनीड्यूर एलए 12 इंजेक्शन हर तीसरे गंभीर हार्ट पेशेंट को लगाया जाता है। ये इंजेक्शन 21 दिन के अंतराल पर दिया जाता है। वहीं इसकी तुलना में जो अन्य दवाएं दी जाती हैं, वह केवल 15 से 20 प्रतिशत ही काम करती हैं जबकि इंजेक्शन 70 प्रतिशत काम करता है।
स्वास्थ्य महकमे को नहीं है मामले में दिलचस्पी
दवाओं की उपलब्धता को लेकर स्वास्थ्य विभाग का रुख भी अभी तक टालमटोल वाला ही सामने आया है। शिकायतकर्ता को भले ही जवाब में दवा की उपलब्धता का दावा स्वास्थ्य विभाग ने कर दिया हो लेकिन दावे की पड़ताल खुद स्वास्थ्य विभाग ने नहीं की। इस मामले में लखनऊ के अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी सुनीत कुमार सक्सेना ने कहा कि हमारे स्टोर में यह दवा उपलब्ध है और डिमांड होने पर उपलब्ध करा दी जाती है।
Updated on:
24 Jun 2018 02:57 pm
Published on:
24 Jun 2018 02:37 pm
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