
Raghuraj Pratap Singh Raja Bhaiya Kunda Mla said I am in Government
उत्तर प्रदेश की राजनीति में मजबूत पकड़ रखने वाले रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया की समाजवादी पार्टी से दूरियां होने के बाद ये कयास लगाया जा रहा था कि रघुराज प्रताप सिंह भारतीय जनता पार्टी के साथ जा सकते हैं। लेकिन लोकसभा चुनाव से पहले रघुराज प्रताप सिंह ने अपना दल जनसत्ता दल लोकतांत्रिक बना कर सभी को चौंका दिया था। लोकसभा चुनाव में भले ही रघुराज प्रताप सिंह को कामयाबी न मिली हो लेकिन विधानसभा चुनाव में रघुराज प्रताप सिंह की पार्टी 2 सीटों पर जीत कर आई है। अन्य दलों की बात करें तो बहुजन समाज पार्टी व कांग्रेस जनों को करारी हार का सामना करना पड़ा। सीटों के मामले में तो रघुराज प्रताप सिंह बहुजन समाज पार्टी कांग्रेस अब बड़ा राजनीतिक दल बन गया है। बीते दिनों एक सवाल के जवाब में रघुराज प्रताप सिंह ने कहा है कि हमें सरकार में जाने की जरूरत क्या है हम तो सरकार में है
यूपी विधानसभा चुनाव 2022 में समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव व कुंडा से समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार गुलशन यादव रघुराज प्रताप सिंह के खिलाफ कई तीखे हमले किए। जिसका रघुराज प्रताप सिंह ने उसी भाषा में जवाब दिया। अब जब उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी की सरकार बन गई है। यह माना जा रहा है, कि रघुराज प्रताप सिंह काफी ताकतवर हो गए हैं। क्योंकि रघुराज प्रताप सिंह को भारतीय जनता पार्टी के नेता राजनाथ सिंह का काफी करीबी माना जाता है। वहीं, भाजपा के कई दिग्गज नेताओं से रघुराज प्रताप सिंह के व्यक्तिगत संबंध हैं। शायद यही नतीजा है कि बीते दिनों एक सवाल के जवाब में रघुराज प्रताप सिंह ने कहा है कि हमें सरकार में जाने की जरूरत क्या है। हम तो सरकार में ही हैं। इस बयान के बाद से यह कयास लगाए जा रहे हैं कि रघुराज प्रताप सिंह भारतीय जनता पार्टी का समर्थन करते हैं। हालांकि अभी तक भारतीय जनता पार्टी और जनसत्ता दल लोकतांत्रिक की ओर से इस संबंध में कोई औपचारिक घोषणा नहीं की गई।
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विधानसभा स्पीकर के लिए भी प्रस्तावित था नाम
भाजपा के वरिष्ठ नेता सतीश महाना के विधानसभा स्पीकर चुने जाने के दौरान प्रस्तावकों में राजा भैया का नाम भी शामिल था। वहीं, विधानसभा में अपने संबोधन के दौरान भी इशारों-इशारों में राजा भैया ने अखिलेश यादव पर तंज किया था। वहीं, राजा भैया भाजपा को लेकर नरम दिखाई दे रहे हैं, जिसके बाद तरह-तरह की अटकलें लगने लगी हैं। हालांकि, राजा भैया ने एक बार फिर सरकार में शामिल होने की अटकलों को खारिज कर दिया है।
क्या राजा भैया के खिलाफ उठने लगी आवाज
साल 1993 के बाद पहली बार ऐसा हुआ जब राजा भैया के खिलाफ इतने बड़े स्तर पर मतदान हुआ। इस चुनाव से पहले किसी भी दल के प्रत्याशी कुंडा में वोट पाना तो दूर अपना चुनाव कार्यालय तक नहीं खोल पाते थे। इस चुनाव के बाद सबसे बड़ा सवाल ये है कि क्या आने वाले समय में राजा भैया अपने गढ़ को अभेद्य बनाने में कामयाब हो पाते हैं या फिर उनके विरोध में मुखर होते लोग उनके किले को ढहा देंगे।
Updated on:
04 Apr 2022 06:25 pm
Published on:
03 Apr 2022 06:21 pm
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