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पर्यावरण संरक्षण के लिए इस बार कच्ची मिटटी के लक्ष्मी-गणेश

locationलखनऊPublished: Oct 09, 2017 06:41:51 pm

Submitted by:

Laxmi Narayan

इन मूर्तियों के पूजन के बाद इन्हें पानी या मिट्टी में दबा देने पर ये पूरी तरह मिट्टी में मिल जायेंगे और इनका पर्यावरण पर प्रतिकूल असर नहीं पड़ेगा।

raw clay
लखनऊ. इस दीपावली पर लोगों को कच्ची मिट्टी से बनी लक्ष्मी-गणेश की मूर्तियां पूजन में उपयोग में लाने के लिए प्रेरित करने के मकसद से एक विशेष पहल की गई है। पर्यावरण संरक्षण के मकसद से लखनऊ की सामाजिक कार्यकर्ता मोनिका भौनवाल ने अपने परिवार के लोगों और मित्रों की मदद से अभियान की शुरुआत की है। भौनवाल के परिवार के लोग और उनकी दोस्तों ने भी उनकी मुहिम में सहयोग के लिए कदम बढ़ाया है।
लखनऊ के तीन कुम्हार हुए हैं राजी

उत्तर प्रदेश के पूर्व राज्य निर्वाचन आयुक्त राजेंद्र भौनवाल की पत्नी मोनिका भौनवाल ने बताया कि पर्यावरण संरक्षण के मकसद से शुरू किया गया यह अभियान अभी छोटे स्तर पर ही आकार ले सका है। इसके तहत कुम्हारों से अपील की जा रही है कि वे कच्ची मिट्टी के लक्ष्मी-गणेश बनायें। मोनिका ने बताया कि कुम्हारों को इसके लिए फिलहाल राजी कर पाना मुश्किल साबित हो रहा है। शुरुआती दौर में प्रयोग के लिए सरोजनी नगर के निकट स्थित उरैनी गाँव के तीन कुम्हारों को तैयार किया गया है।
पहले चरण में 500 मूर्तियों का निर्माण

मोनिका के पति राजेंद्र भौनवाल ने बताया कि अभी शुरुआती दौर में कुम्हारों को 500 मूर्तियों के निर्माण के लिए कहा गया है। मिट्टी के लक्ष्मी-गणेश के निर्माण में कुम्हार को अधिक मेहनत करनी पड़ती है और समय भी अधिक लगता है लेकिन पर्यावरण संरक्षण के मकसद से इस पहल से कुम्हारों को जोड़ने की कोशिश की गई है। उन्होंने कहा कि इन मूर्तियों के पूजन के बाद इन्हें पानी या मिट्टी में दबा देने पर ये पूरी तरह मिट्टी में मिल जायेंगे और इनका पर्यावरण पर प्रतिकूल असर नहीं पड़ेगा।
परिवार के लोग कर रहे सहयोग

मोनिका की इस पहल में उनके परिवार के अलावा उनके बेटे गतिक, उनकी मित्र मालविका व अन्य लोग सहयोग कर रहे हैं। मोनिका ने बताया कि कुम्हारों द्वारा बनाई गई मूर्ति को लोगों तक पहुंचाने के लिए ऑनलाइन व्यवस्था की जा रही है। जो लोग ऐसी मूर्तियां चाहते हैं वे फ़ोन से या लखनऊ में बनाये गए बिक्री केंद्रों से संपर्क कर सकते हैं।
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