
Russia Ukraine war impact: रशिया और यूक्रेन युद्ध के बीच खाद्य तेल को लेकर मुनाफाखोरी शुरू हो गई है। खाद तेल की कीमतें 15% तक बढ़ गई हैं। रूस यूक्रेन के बीच युद्ध का फायदा उठाते हुए राजधानी लखनऊ में खाद तेल की मुनाफाखोरी शुरू कर दी गई है। खाद्य तेल पर मनमाने तरीके से प्रिंट रेट से 15 प्रतिशत रेट बढ़ा कर भुगतान लिया जा रहा है। मुनाफाखोरी का सबसे ज्यादा असर सूरजमुखी के तेल पर पड़ रही है।
क्या कहते हैं व्यापारी
खाद्य तेल के एक व्यापारी ने बताया कि युद्ध से पहले ब्रांडेड रिफाइन का 15 लीटर डिब्बा ₹2050 रुपये का मिलता था जो अब ₹2300 रुपये का मिल रहा है। वहीं 1 लीटर ब्रांडेड रिफाइंड का डिब्बा 136 रुपए का मिलता था जो ₹153 का मिल रहा है। एक अन्य कारोबारी ने बताया कि सूरजमुखी का तेल लखनऊ में 120 से ₹122 रुपये लीटर मिलता था जो अब 138 से ₹140 लीटर मिल रहा है। 15 लीटर का डिब्बा अब 2450 रुपए का मिल रहा है।
युद्ध को बताया जा रहा कारण
यूक्रेन और रशिया युद्ध के बीच मुनाफाखोरी शुरू हो गई है। सबसे अधिक बिकने वाले ब्रांड के होलसेलर ने इस दौरान लूट मचा रखी है। होलसेल व्यापारियों जिस 15 लीटर के टिन पर 2300 रुपए का प्रिंट है उसे 2450 रुपये में बेच रहे हैं। विरोध करने वाले रिटेलर को सप्लाई नहीं दी जा रही है। वहीं होलसेल व्यापारियों का तर्क है कि युद्ध के चलते आयात निर्यात पर असर पड़ रहा है जिसके चलते तेल की कीमत बढ़ गई हैं।
क्या कहते हैं व्यापारी नेता
उत्तर प्रदेश आदर्श व्यापार मंडल के प्रदेश अध्यक्ष संजय गुप्ता ने बताया कि युद्ध से आयात निर्यात पर व्यापक असर पड़ा है। भारत यूक्रेन और रूस से दवा, कच्चा माल, सूरजमुखी तेल, जैविक रसायन, प्लास्टिक, लोहा, इस्पात, तेल-गैस व कोयला आदि आयात होता है। वहीं यूक्रेन व रूस को भारत फल, चाय, कॉफी, दवा उत्पाद, मसाले, तिलहन, स्टील इलेक्ट्रिकल मशीनरी और मशीनरी सामान आदि भेजता है। ऐसे में युद्ध के चलते व्यापार पर असर पड़ रहा है।
Updated on:
01 Mar 2022 10:53 am
Published on:
01 Mar 2022 10:49 am
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