
Sawan 2018 : सावन में भूलकर भी न करें ये काम, नाराज हो जाएंगे शिवजी, हो सकता है बड़ा अनर्थ
लखनऊ. 28 जुलाई से सावन का महीना शुरू हो रहा है। 30 जुलाई को पहला सावन का पहला सोमवार है। सावन का भगवान शिव का महीना कहा जाता है। मान्यता है कि इस महीने में भगवान शिव की पूजा विशेष फल देने वाली होती है। भगवान शिव सबसे आसानी से प्रसन्न हो जाने वाले देवता हैं। वह भोलेनाथ हैं तो उन्हें महाकाल भी कहा जाता है। महादेव भले ही आसानी से खुश हो जाने वाले देवता हैं, लेकिन पूजा में जरा सी भी भूल उन्हें नाराज भी कर सकती है। इसलिये सावन के महीने में भूलकर भी ये काम न करें।
शिवजी पर ये न चढ़ायें
हल्दी है वर्जित : धार्मिक अनुष्ठानों में हल्दी की विशेष महत्व है। इसे कई देवी-देवताओं पर चढ़ाने के अनेक लाभ हैं, लेकिन हल्दी चढ़ाना शिवजी पर वर्जित है।
न चढ़ाएं ये फूल : करने और कमल के फूल को छोड़कर भगवान शिव को लाल रंग के फूल प्रिय नहीं हैं। इसके अलावा केतकी और केवड़े के फूल भी भगवान शंकर पर नहीं चढ़ाने चाहिये।
कुमकुम-रोली है निषेध : शास्त्रों में कहा गया है कि भगवान शिव पर कुमकुम और रोली न चढ़ायें। ऐसा करने से भगवान शिव नाराज हो सकते हैं।
शंख ध्वनि न करें : भले ही अन्य देवी-देवताओं की पूजा में शंख ध्वनि की जाती हो, लेकिन शिवजी की पूजा करते समय शंख ध्वनि न करें। शिवजी नाराज हो सकते हैं। मान्यता है कि शिवजी ने शंखचूर नामक असुर का वध किया था, जो शिवजी की शक्तियों का प्रतिरूप था।
नारियल न चढ़ायें : भगवान शिव पर नारियल पानी नहीं चढ़ाना चाहिये। ऐसा करने से वह नाराज हो सकते हैं। शास्त्रों में नारियल को लक्ष्मी का स्वरूप माना गया, लेकिन शिवलिंग पर चढ़ाने के बाद नारियल पानी ग्रहण योग्य नहीं रह जाता है।
तुलसी पत्तों का न करें प्रयोग : शिवजी की पूजा में तुलसी दल यानी तुलसी के पत्तों का प्रयोग नहीं करना चाहिये। शिव पुराण में कहा गा है कि भगवान शंकर की पूजा में तुलसी के पत्तों का प्रयोग न करें।
खंडित अक्षत न चढ़ायें : भगवान शंकर पर खंडित अक्षत यानी चावल भी नहीं चढ़ाने चाहिये। इससे शिवजी कुपति होते हैं।
ऐसे करें शिव जी की पूजा
शिवजी पूजा विशेष फल देने वाली है। वह थोड़े से ही प्रसन्न हो जाने वाले भगवान हैं। श्रृद्धा और भक्ति के साथ शिवलिंग पर केवल जल चढ़ाने वाले भी आसानी से भगवान भोलेनाथ को पा सकते हैं। शिवलिंग पर जल चढ़ाते समय कुछ नहीं आता है तो 'ऊँ नम: शिवाय' मंत्र का जाप करें। अगर कर सकते हैं तो ये मंत्र भी पढ़ें-
कर्पूर गौरं करुणावतारं संसार सारं भुजगेंद्रहारं
सदा बसंतं ह्रदयार बिंदे भवं भवानी सहितं नमामि।।
भावार्थ- जिनका कपूर के समान गौर वर्ण है, जो करुणा के अवतार हैं, जिनमें संसार का सार यानी मूल तत्व निहित है, जिनके गले में नागराज की की तरह लिपटे हैं, जो हमेशा लोगों ने ह्रदय में बसते हैं, ऐसे भूतभावन भगवान भोलेनाथ को माता पार्वती सहित प्रणाम है।
Published on:
23 Jul 2018 07:30 pm
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