बुधवार की रात शिवपाल नाराज, गुरुवार की सुबह राजी सैफई के पुख्ता सूत्रों के मुताबिक, एक सप्ताह पहले
मुलायम सिंह यादव ने परिवार के लोगों को दो टूक कह दिया कि यह आखिरी कोशिश है। अब बात नहीं बनेगी तो वह राजनीति और परिवार से दूरी बना लेंगे। मुलायम की इस वेदना को डिंपल ने महसूस किया और उन्होंने अखिलेश को पिता के सामने झुकने के लिए राजी किया था। इसी के बाद बीते सप्ताह सपा के सुल्तान राष्ट्रीय अधिवेशन का न्योता देने लखनऊ में पिता के सरकारी निवास पर पहुंचे। पिता-पुत्र में पार्टी का वजूद बचाने पर चर्चा हुई और मुलायम ने समझौते का फार्मूला सुझाया, जिसे अखिलेश ने स्वीकार कर लिया। इसी के बाद मुलायम ने परिवार को एकजुट करने का प्रयास शुरू किया। मंगलवार की रात उन्होंने छोटे भाई शिवपाल यादव तथा परिवार के अन्य राजनीतिक सदस्यों के साथ टेलीफोनिक चर्चा करते हुए आदेश सुना दिया कि अब कोई किसी के खिलाफ नहीं बोलेगा। इसके बाद बुधवार को दोपहर में मुलायम ने शिवपाल को अपने आवास पर बुलाकर तीन घंटे तक समझाया, लेकिन शिवपाल Samajwadi Party Rashtriya Adhivesan
agra में जाने को तैयार नहीं हुए। ऐसे में मुलायम ने नाराजगी जताते हुए उन्हें जाने को कह दिया था। गुजरी रात में मंथन और राजनीतिक भविष्य की संभावनाओं को टटोलने के बाद शिवपाल सिंह ने गुुरुवार की सुबह बड़े भाई मुलायम को फोन लगाकर क्षमा मांगी। इसके बाद मुलायम ने उन्हें अपने आवास पर फिर बुलाया। मुलाकात करने के लिए शिवपाल यादव अपने साथ नारद राय को लेकर पहुंचे। गौरतलब है कि विधानसभा चुनाव में टिकट कटने पर नारद राय बागी बनकर बसपा में चले गए थे, लेकिन सात महीने बाद ही बसपा को अलविदा कह दिया।
बधाई संदेश के साथ रिश्तों से बर्फ पिघली बहरहाल, गुरुवार की सुबह अखिलेश को नेता मानने के लिए राजी होने से पहले बुधवार की सुबह शिवपाल ने मुलायम सिंह की सलाह पर अमल करते हुए
अखिलेश यादव को फोन पर राष्ट्रीय अध्यक्ष चुने जाने की अग्रिम बधाई देते हुए पांच मिनट संवाद किया था। उस दौरान अखिलेश ने अपने चाचा को राष्ट्रीय अधिवेशन में आने का न्योता दिया, लेकिन शिवपाल ने रजामंदी का स्पष्ट जवाब नहीं दिया। इसके बाद मुलायम सिंह को बातचीत का ब्योरा देकर अखिलेश यादव आगरा अधिवेशन के लिए निकल गए थे। अखिलेश से बात होने के बाद मुलायम ने शिवपाल सिंह को अपने बंगले बुलाकर तीन घंटे तक समझाया। सूत्रों के मुताबिक, मुलायम ने खुद के राष्ट्रीय अधिवेशन में जाने का इरादा जताकर शिवपाल से भी आगरा पहुंचने को कहा, लेकिन शिवपाल ने आगरा जाने से इंकार कर दिया था।
समझौते में शिवपाल को महासचिव पद मिलेगा मुलायम के फार्मूले के मुताबिक, अखिलेश चाहे तो उन्हें राष्ट्रीय अध्यक्ष का पद सौंपकर स्वयं कार्यकारी अध्यक्ष बन सकते हैं। अहम फैसलों के लिए कार्यकारी अध्यक्ष को जिम्मेदारी देने के लिए पार्टी संविधान को बदलने का सुझाव भी है। मुलायम ने यह भी सुझाव दिया है कि वह कोई पद नहीं चाहते हैं, लेकिन शिवपाल को राष्ट्रीय राजनीति में समायोजित करते हुए महासचिव का पद दिया जाना चाहिए। पिता के इस फार्मूले से अखिलेश यादव सहमत हैं। यूपी की राजनीति में शिवपाल का दखल खत्म होने से अखिलेश को राहत ही मिलेगी, लेकिन रामगोपाल यादव को यह प्रस्ताव मंजूर नहीं था। बहरहाल, अब समझौते के अंतिम फार्मूले के अनुसार, रामगोपाल और शिवपाल यादव राष्ट्रीय महासचिव की भूमिका में रहेंगे। रामगोपाल यादव पर संसदीय कार्यों की जिम्मेदारी रहेगी, जबकि शिवपाल सिंह यादव को पार्टी के विस्तार के लिए काम करना होगा। इस फार्मूले पर चर्चा करते हुए मुलायम के पोते और इटावा के जिला पंचायत अध्यक्ष अंशुल यादव ने कहाकि अब परिवार एक है। नेताजी ने सभी के बीच गलतफहमी को दूर कर दिया है।