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सरकारी अस्पतालों में भी गहराया ऑक्सीजन का संकट, गंभीर मरीज पर चार घंटे में एक जंबो सिलेंडर की खपत, 10 गुना अधिक बढ़ी मांग

निजी अस्पतालों की तरह अब सरकारी अस्पतालों में भी ऑक्सीजन (Oxygen Supply) का संकट गहराता जा रहा है। अस्पतालों में भर्ती मरीजों में करीब 70 फीसदी कोरोना संक्रमित मरीज हैं। इन मरीजों के इलाज के लिए ऑक्सीजन की डिमांड बढ़ गई है।

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सरकारी अस्पतालों में भी गहराया ऑक्सीजन का संकट, गंभीर मरीज पर चार घंटे में एक जंबो सिलेंडर की खपत, 10 गुना अधिक बढ़ी मांग

सरकारी अस्पतालों में भी गहराया ऑक्सीजन का संकट, गंभीर मरीज पर चार घंटे में एक जंबो सिलेंडर की खपत, 10 गुना अधिक बढ़ी मांग

लखनऊ. निजी अस्पतालों की तरह अब सरकारी अस्पतालों में भी ऑक्सीजन (Oxygen Supply) का संकट गहराता जा रहा है। अस्पतालों में भर्ती मरीजों में करीब 70 फीसदी कोरोना संक्रमित मरीज हैं। इन मरीजों के इलाज के लिए ऑक्सीजन की डिमांड बढ़ गई है। लेकिन गैस कंपनियां मांग के अनुरूप आपूर्ति नहीं कर रही हैं। जिन अस्पतालों में पहले 15-20 ऑक्सीजन की सप्लाई प्रति तीन दिन के हिसाब से होती थी, वहीं अब हर दिन के हिसाब से ऑक्सीजन की डिमांड 10 गुना बढ़ गई है। उधर, गंभीर मरीजों पर चार घंटे में एक जंबो सिलेंडर की खपत हो रही है। कोविड अस्पतालों में भर्ती होने वाले अति गंभीर मरीजों और वेंटिलेटर पर जाने वाले मरीजों पर चार घंटे में एक जंबो सिलेंडर की खपत हो रही है। ऐसे मरीजों पर रोजाना आठ से नौ सिलेंडर लगता है। जबकि एक जंबो सिलेंडर में करीब 13 लीटर ऑक्सीजन होती है।

16 हजार जंबो सिलेंडर की खपत

फरवरी तक रोजाना 16 हजार जंबो सिलेंडर की खपत होती थी। सरकारी, अर्ध सरकारी, निजी मेडिकल कॉलेज में 15 से 20 हजार सिलेंडर लगते थे। अब कोविड अस्पतालों में ही रोजाना करीब 25 हजार सिलेंडर की खपत है। ऑक्सीजन की डिमांड 10 गुना बढ़ गई है। बलरामपुर अस्पताल में मार्च में रोजाना 80-90 ऑक्सीजन सिलेंडर की आपूर्ति होती थी। मौजूदा समय में कोविड अस्पताल बन जाने बाद यहां ऑक्सीजन की मांग 500 सिलेंडर से अधिक पहुंच गई है। वहीं, गैस कंपनी करीब 300 सिलेंडर ही दे पा रही है। बलरामपुर अस्पताल के कार्यवाहक निदेशक डॉ. जीपी गुप्ता के मुताबिक, संकट के बीच किसी तरह काम चला रहे हैं।

300 से अधिक सिलेंडर की आपूर्ति नहीं

सीएमएस डॉ. अमिता यादव ने कोरोना महामारी में इस संकट पर कहा कि वर्तमान स्थिति में गैस कंपनी 250-300 सिलेंडर ही दे पा रही है। लोहिया संस्थान में जहां पहले रोजाना 40-45 सिलेंडर की जरूरत पड़ती थी, वहां अब 150-200 से अधिक सिलेंडर तक खत्म रहे हैं। जबकि यहां 350 बेड की क्षमता है।

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