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अजय मिश्र टेनी को बरी किए जाने मामले में याचिका खारिज, यूपी सरकार जाएगी सुप्रीम कोर्ट, जानें पूरा मामला

Prabhat Gupta Murder Case: प्रभात गुप्ता हत्याकांड में मामले में अजय मिश्र टेनी को बरी किए जाने को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट के लखनऊ खंडपीठ में एक याचिका दायर की थी। जिसे कोर्ट ने याचिका खारिज कर दिया।

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लखनऊ

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Anand Shukla

May 22, 2023

 Prabhat Gupta Murder Case

प्रभात गुप्ता हत्याकांड में अजय मिश्र टेनी की मुश्किलें बड़ी सकती है।

Prabhat Gupta Murder Case: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 19 मई को केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्र टेनी को प्रभात गुप्ता हत्याकांड में बरी कर दिया था। उनके बरी किए जाने के खिलाफ इलाहाबाद के लखनऊ खंडपीठ में एक याचिका दायर की थी। जिसे कोर्ट ने खारिज कर दिया। वहीं अब यूपी सरकार इस मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट जाएगी।

वहीं प्रभात गुप्ता के भाई का कहना है कि, "न्याय नहीं हुआ है। खुन बहा है, गवाह हैं और न्याय नहीं हुआ। हम सुप्रीम कोर्ट जाएंगे। हमने अभी जजमेंट नहीं देखा है, लेकिन उन्होंने कहा कि हम अपील खारिज कर रहे हैं और उन लोगों को बरी किया है। न्याय नहीं हुआ, हमें बहुत उम्मीद थी। तीन-तीन बार फैसला सुरक्षित रखा गया। क्या देश में इसी तरह से न्याय होता है? वो केंद्रीय मंत्री हैं तो क्या इस तरह से फैसले कभी सुरक्षित हुए।"

प्रभात गुप्ता हत्याकांड मामला क्या है?
अजय मिश्र टेनी लखीमपुर खीरी लोकसभा सीट से सांसद हैं और मोदी सरकार में गृहराज्य मंत्री हैं। साल 2000 में लखीमपुर खीरी के तिकोनिया में छात्र नेता प्रभात गुप्ता की उनके घर के पास गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। इस मामले में टेनी, सुभाष मामा, शशि भूषण पिंकी और राकेश डालू को आरोपी बनाया गया था।

निचली अदालत के फैसले को राज्य सरकार ने हाईकोर्ट में दी थी चुनौती
प्रभात गुप्ता हत्याकांड मामले में न्यायमूर्ति अताउर रहमान मसूदी और न्यायमूर्ति ओम प्रकाश शुक्ला की पीठ ने 2004 में टेनी को बरी कर दिया था। लेकिन तत्कालीन राज्य सरकार ने हाईकोर्ट में बरी होने के खिलाफ याचिका अपील की थी। वहीं मृतक प्रभात गुप्ता के पिता संतोष गुप्ता द्वारा हाईकोर्ट के समक्ष सीआरपीसी की धारा 397/401 के तहत पुनरीक्षण याचिका दायर की गई थी। टेनी पर आरोप लगाया गया था कि पंचायत चुनाव को लेकर उसका प्रभात गुप्ता से विवाद हुआ था। जिसके चलते प्रभात गुप्ता को टेनी और अन्य आरोपियों ने गोली मार दी थी।

तीन बार फैसले को रखा गया सुरक्षित
प्रभात गुप्ता हत्याकांड मामले में तीन बार फैसला सुरक्षित रखा गया था। पहली बार 12 मार्च 2018 को जस्टिस देवेंद्र कुमार उपाध्याय और दिनेश कुमार सिंह की बेंच ने फैसला सुरक्षित रखा था। दूसरी बार सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर 10 नवंबर 2022 को जस्टिस रमेश सिन्हा और रेणु अग्रवाल ने फैसला सुरक्षित रखा था। तीसरी बार 21 फरवरी 2023 को जस्टिस मसूदी और शुक्ला की बेंच ने फैसला सुरक्षित रखा था।

इस बीच, प्रभात गुप्ता के परिवार के सदस्यों ने संवाददाताओं से कहा कि वे हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील करेंगे। उनके भाई ने कहा मामला 23 साल से चल रहा है और अब हमें बताया गया है कि कोई आरोपी नहीं है। मेरे भाई को मार दिया गया था, लेकिन अदालत का कहना है कि किसी ने उसे नहीं मारा।